केंद्र की मोदी सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार का एक बड़ा परिवर्तन करने जा रही है. जिससे देश में फैल चुके फर्जी शिक्षा संस्थानों को खत्म किया जा सकेगा. बिहार में कई जगह ऐसे कॉलेज है कि किसी टपरे पर एक बोर्ड लगा है और कुछ नहीं है. उसे गवर्मेंट ग्रान्ट भी मिल रही है.
इसमें सरकार के शिक्षा अधिकारी से लेकर शिक्षा माफिया व्यापक भ्रष्टाचार में लिप्त है. ये केवल सर्टिफिकेट छपवा लेते हैं और किसी को भी रुपया लेकर बेच देते है. इस राज्य में बोर्ड के इम्तहान में एक प्राइवेट कॉलेज की ऐसी लडक़ी ‘टॉप’ कर गयी जिसने परीक्षा ही नहीं दी थी.
दुनिया में भारतीय शिक्षा व डिग्रियों की साख व मान्यता बनी रहे इसके लिये जरूरी है कि ऐसे फर्जी शिक्षा संस्थान खत्म किये जाये. उन शासकीय अधिकारियों को भी बर्खास्त किया जाए जिन पर कॉलेजों के निरीक्षण की जिम्मेदारी है.
आजादी के समय देश में गिने-चुने विश्वविद्यालय व कॉलेज थे. उनका पढ़ाई स्तर भी उच्चकोटि का होता था. उन दिनों विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर डाक्टर अमरनाथ झा, डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन, आचार्य नरेंद्र देव जैसी हस्तियां हुआ करती थीं.
अब तो स्तरहीन निजी विश्वविद्यालयों की संख्या बढ़ती जा रही ही हैं. अब शासकीय माध्यमिक शिक्षा मंडल, मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेजों में फर्जी संस्थान करोड़ों की काली कमाई व धोखाधड़ी चरम सीमा पर पहुंच गयी है.
आजादी के बाद विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के समुचित उन्नति के लिए केन्द्र में यूनिवर्सिटी ग्रान्ट कमीशन (यू.जी.सी.) बनाया गया जिनकी सिफारिशों के आधार पर सरकार से उन्हें अनुदान दिया जाता था. बाद में इसे उच्च शिक्षा के अन्य काम भी सौंप दिये गये.
शासकीय व निजी कालेजों के लिये प्रोफेसरों का वेतनमान भी यूनिवर्सिटी ग्रान्ट कमीशन ही तय करता है. लेकिन यह फर्जी कॉलेजों को रोकने में सार्थक सिद्ध नहीं हो रहा क्योंकि यह दायित्व उसे नहीं दिया गया है.
इसलिये अब मोदी सरकार ने उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.) को खत्म करके उसके स्थान के व्यापक अधिकारी वाली सक्षम नयी संस्था एच.ई.सी.आई (हायर एजुकेशन कमीशन आफ इंडिया) लानेे का निर्णय लिया है.
इसका ड्राफ्ट विधेयक लोगों की राय जानने के लिये प्रसारित कर दिया गया है. इस कमीशन को स्तरहीन, घटिया और फर्जी शिक्षा संस्थानों को बंद करवा देने के अधिकार होंगे और उन्हें चलाने वालों को तीन साल तक की सजा दी जायेगी.
यह आयोग राज्यों के विश्वविद्यालयों को केंद्रिय विश्वविद्यालयों के बरबार लाने का प्रयास सीधे तौर पर कर सकेगा. इसके नये विधेयक में इस कमीशन के ऊपर एक शासकीय एडवायजरी कौंसिल होगी जो इसकी नीतियों व क्रियाकलापों पर निगरानी रखेगा. यह एडवायजरी कौंसिल हर 6 माह में इस नये आयोग को राय देगी.
राज्यों में हायर सेकेंड्री, हाईस्कूल, मिडिल व प्राइमरी स्कूलों के लिये भी राज्य स्तर का ऐसा आयोग बनाया जाये. इन स्कूलों में भी बहुत फर्जी संस्थाएं हैं उन्हें भी बंद करना होगा.
शिक्षा का स्तर केवल उच्च शिक्षा से ही नहीं सुधरेगा बल्कि इससे भी ज्यादा यह जरूरी है कि प्राइमरी से लेकर मिडिल की शिक्षा ही बुनियादी शिक्षा है जिसकी बुनियाद पर ही उच्च शिक्षा खड़ी होती है.