लगता है मध्यप्रदेश के स्कूल व कालेजों की परीक्षाओं में छात्रों द्वारा नकल-सामूहिक नकल, शिक्षण संस्थाओं को चलाने वाले शिक्षा माफिया की धंधेबाजी में नकल कराना और व्यापमं जैसे कांड में सरकारी अफसरों व मंत्रियों द्वारा भ्रष्टाचार करके नकल कराने का धंधा बड़े पैमाने पर उच्चतम स्तर पर चलता चला आ रहा है. अब व्यापमं की ही व्यवसायिक परीक्षा स्टेट पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स, सीबीआई और अदालतों में चल रही है. कई धंधेबाज शिक्षा माफिया, भ्रष्टï अधिकारी व मंत्री जेल की हवा खा रहे हैं.
इसे रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने यह फैसला लिया है कि नकल होने पर वह छात्रों पर जुर्माना लगायेगी और उन्हें जेल भेज देगी. ऐसा लगता है कि इस नीति या हिमाकत पर सरकार की ही अक्ल का इम्तहान हो रहा है.
जो शिक्षा माफिया नकल कराने के लिए भारी रकम वसूलते हैं वे छात्र नहीं बल्कि उनके माता-पिता देते हैं और भुगतान के बदले में छात्र को नकल की सुविधा बेची जाती है. कुछ स्कूलों के आसपास परीक्षा के दिनों में सडक़ें खोद दी जाती हैं ताकि अधिकारियों का छापा न पड़ सके.
टीकमगढ़ में एक समय जेल के अंदर परीक्षा केंद्र बनाया और बाहर माफिया की भीड़ ने उसके विरुद्ध पत्थरबाजी व हिंसा की थी. ऐसे माहौल में यह तय करना कि नकल के लिये छात्रों पर जुर्माना लगेगा और उन्हें जेल भेज दिया जायेगा सरकार की अक्ल का दिवालियापन है. वह स्वयं ही नकल रोकने की परीक्षा में फेल हो गयी.