अतिथि विद्वानों के आंदोलन के 100 दिन पूरे, आरोप लगाया – मुख्यमंत्री के वादे आज भी अधूरे

ग्वालियर: विगत 100 दिनों से अपने नियमितीकरण की मांग को लेकर फूलबाग चौराहे पर अपना टेंट लगाकर आंदोलन कर रहे अतिथि विद्वान आज भी इस कड़ाके की सर्दी में डटे हुए हैं । अतिथि विद्वानों का कथन है कि हमारा यह टेंट तभी उठेगा यहां से जब हमारी मांग सरकार पूरा करेगी।अतिथि विद्वानों ने अपने आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर शांतिपूर्ण ढंग से कैंडल मार्च निकाला जो आंदोलन स्थल से गांधी पार्क और अंबेडकर पार्क तक रहा। इस रैली के माध्यम से सरकार को अपना संदेश देने का प्रयास किया कि आपने हमारे आंदोलन स्थल भोपाल के शाहजहानी पार्क में आकर के हम से जो वादा किए थे हम उसी को पूरा करने के लिए आज 100 दिनों से निरंतर आंदोलन कर रहे हैं । आप अपने वादे से मुकर रहे और हमसे मुलाकात तक करने का समय नहीं दे रहे हैं।

अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सुजीत सिंह भदोरिया एवं उनकी टीम का कहना है कि सरकार का यह चेहरा कभी नहीं देखा कि जो खुले मंच से अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की घोषणा करके और वक्त आने पर ऐसे मुंह छुपा रहे हैं जैसे वह इन मामलों से वाकिफ ही नहीं है । यहां तक की विगत 3 सालों में आज तक अतिथि विद्वानों के प्रतिनिधिमंडल से मिलने तक के लिए समय नहीं दिया। लोकतंत्र में सरकार और जनता के बीच का जो संबंध होता है उस संबंध की इमानदारी मुख्यमंत्री ने पूरी तरह खो दी । आज अतिथि विद्वान अपने परिवार को पालने के लिए 20-20 वर्षों से उच्च शिक्षा विभाग में सेवा देने के बाद अपनी नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं । क्या लोकतंत्र का यही स्वरूप होना चाहिए?

वरिष्ठ अतिथि विद्वान डॉ दिनेश दोहरे , डॉ.अजब सिंह राजपूत एवं डॉ. रश्मि सिंह का कहना है कि जब मुख्यमंत्री ही अपने वादे से मुकर जायेंगे जो वादा किया जाता है उसे पूरा किया जाता है परंतु भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश की सरकार विगत 20 वर्षों से अतिथि विद्वानों के साथ सिर्फ छलावा की है आश्वासन पर आश्वासन दिए परंतु एक भी वादा पूरा नहीं किए । आज भी अतिथि विद्वान सड़क पर हैं।

नव भारत न्यूज

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