नगर पालिका अवैध कॉलोनियों से क्यों वसूल रही विकास शुल्क, भूमाफियाओं के साथ राजस्व विभाग भी जिम्मेदार है अवैध कॉलोनियों को विकसित कराने में
शाजापुर: बीते एक दशक से हर बार अवैध कॉलोनी और भूमाफियाओं के खिलाफ नोटिस-नोटिस का खेल शुरू होता है और कार्रवाई का जिन्न निकलता है, लेकिन बाद में यह कार्रवाई वसूली के बाद कागजों में दफन हो जाती है. यदि अवैध कॉलोनियों के लिए भूमाफिया जिम्मेदार हैं, तो इन अवैध कॉलोनियों का जन्म अधिकारियों के डायवर्शन से शुरू होता है. धड़ल्ले से डायवर्शन कर अधिकारी पैसे कमाते हैं और इस कारण ही शहर में अवैध कॉलोनियां विकसित होती है. यदि अवैध कॉलोनियों पर अंकुश लगाना है, तो सबसे पहले डायवर्शन, नामांतरण और विकास शुल्क वसूलने वाली नगर पालिका पर कार्रवाई होना चाहिए.
गौरतलब है कि एक तरफ अवैध कॉलोनियों पर रोक लगाने की बात की जाती है, दूसरी तरफ इन्हीं अवैध कॉलोनियों में नगर पालिका सड़क बनाती है और विकास शुल्क वसूलती है. तो प्रशासन को चाहिए कि वो सबसे पहले उन अधिकारियों पर कार्रवाई करे, जो चंद पैसों के लिए डायवर्शन कर अवैध कॉलोनियों को जन्म दिलाते हैं. साथ ही नगर पालिका पर कार्रवाई होना चाहिए, जो अवैध कॉलोनियों में बिकने वाले भूखंड से विकास शुल्क वसूलती है.
यदि डायवर्शन पर अंकुश लग जाए, तो अवैध कॉलोनी अपने आप बंद हो जाएंगी, लेकिन अधिकारी अपने लक्ष्मी दर्शन के चक्कर में धड़ल्ले से डायवर्शन करते हैं और डायवर्शन के बाद लोग भूखंड बेच देते हैं. या यूं कहें कि अवैध कॉलोनी का बीज डायवर्शन की कलम से शुरू होता है. वहीं दूसरी ओर शाजापुर में 90 प्रतिशत कॉलोनियों में नगरपालिका द्वारा रोड और नल कनेक्शन दिए जाते हैं, जबकि शाजापुर शहर अवैध कॉलोनियों की बसाहट में है. तो भूमाफियाओं पर कार्रवाई के पहले नगर पालिका के उन जिम्मेदारों पर कार्रवाई होना चाहिए, जो अवैध कॉलोनियों में विकास शुल्क जमा कराकर नल कनेक्शन देते हैं.
अवैध कॉलोनियों को रोकने के लिए डायवर्शन पर लगना चाहिए रोक
यदि सही मायने में जिला प्रशासन अवैध कॉलोनियों पर रोक लगाना चाहता है, तो सबसे पहले उन्हें डायवर्शन पर रोक लगाना चाहिए. यदि जमीन का डायवर्शन ही नहीं होगा, तो अवैध कॉलोनी की संभावना समाप्त हो जाएगी. क्योंकि भूमाफिया सबसे पहले जमीन का डायवर्शन कराते हैं और जमीन का डायवर्शन इतनी आसानी से हो जाता है, उसके बाद कॉलोनी काटी जाती है. तो सबसे पहले डायवर्शन पर रोक लगना चाहिए, तभी अवैध कॉलोनियां बंद होंगी.
जैसी जमीन, वैसी डायवर्शन के नाम पर बख्शीश...
कहने को तो प्रदेश सरकार ने डायवर्शन को ऑनलाईन कर दिया है, लेकिन ऑनलाईन डायवर्शन का फॉर्म उसी का बाहर आता है, जो डायवर्शन की बख्शीश देता है. सरकार ने तो यहां तक निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों ने ऑनलाईन आवेदन किया है, उन्हें तत्काल डायवर्शन दिया जाए, लेकिन डायवर्शन उन्हें ही मिलता है, जो बख्शीश देते हैं और जो बख्शीश नहीं देते हैं, उनके डायवर्शन का फॉर्म टेबल पर ही रखे-रखे धूल खाता रहता है.
1 लाख रुपए तक लगती है डायवर्शन की बख्शीश
अवैध कॉलोनियों का जन्म डायवर्शन के प्राथमिक चरण से होता है. 50 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए बीघा तक डायवर्शन के नाम पर अवैध वसूली की जाती है. रजिस्ट्री की गाइडलाइन के हिसाब से सरकार को पैसा मिलता है, लेकिन जल्द डायवर्शन कराने के लिए बख्शीश देना पड़ती है. तब कहीं जाकर ऑनलाईन डायवर्शन टेबल पर आता है और जो लोग बख्शीश नहीं देते हैं, उनका आवेदन ऑनलाईन ही घूमता रहता है. या यूं कहें कि जब तक डायवर्शन की बख्शीश ना चढ़ाई जाए, तब तक ना तो डायवर्शन की रिपोर्ट लगती है और ना ही ऑनलाईन से बाहर आता है और बख्शीश चढ़ाते ही डायवर्शन ओके हो जाता है. डायवर्शन के बाद नगर पालिका में नामांतरण और विकास शुल्क वसूला जाता है. यदि अवैध कॉलोनी अपराध है तो इस अपराध में वे सब लोग शामिल हैं, जो अवैध कॉलोनी को बढ़ावा देते हैं.
नगर पालिका क्यों वसूल रही विकास शुल्क…?
एक तरफ अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई की बात की जाती है, तो दूसरी तरफ नगरपालिका इन अवैध कॉलोनियों से विकास शुल्क वसूल रही है. जब अवैध कॉलोनी है, तो फिर नगरपालिका अवैध कॉलोनी में बिकने वाले भूखंड से विकास शुल्क क्यों वसूल रही है. अवैध कॉलोनी के लिए यदि भूमाफिया जिम्मेदार हैं, तो नगर पालिका और राजस्व के वे अधिकारी भी जिम्मेदार हैं, जो अवैध कॉलोनी को खड़ा करने के लिए डायवर्शन, नामांतरण करते हैं.
राजस्व की अवैध वसूली की दर…
राजस्व विभाग में हर चीज के रेट तय है. 600 से लेकर 2 हजार स्क्वेयर फीट प्लॉट के पटवारी रिपोर्ट से लेकर डायवर्शन तक के 10 हजार रुपए तय है. फौती नामांतरण 10 हजार से लेकर कई पटवारी तो 1-1 लाख वसूल रहे हैं. कई फौती नामांतरण की स्थिति के अनुसार रेट तय किए जाते हैं. प्लॉट के नामांतरण के लिए 5 हजार रुपए फिक्स हैं. डायवर्शन 40 से 50 हजार रुपए प्रति बीघा. और यदि बड़ी कॉलोनी है, तो 1 लाख रुपए बीघा तक डायवर्शन. ये शुल्क सरकार के नहीं, ये अवैध वसूली के लिए राजस्व विभाग द्वारा तय की गई सूची है. सीमांकन, बटांकन, मौके पर कब्जा 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपए जमीन के हिसाब से रेट तय है.
जल्दी बटांकन, सीमांकन कराना है, तो उसका रेट अलग है. तरनीम कराने का रेट अलग है. नक्शे में लाल स्याही याने बटांकन का रेट अलग है. कई मामलों में तो जैसी जमीन वैसे दाम. जल्दी सीमांकन, बटांकन कराना है, तो उसकी दर अलग है. शाजापुर में कुछ पटवारी ऐसे हैं, जो बिना पैसेे के नामांतरण कर देते हैं, तो कुछ पटवारी ऐसे हैं, जो खुलेआम पैसे मांगते हैं. शाजापुर में एक पटवारी का आलम तो यह है कि उसका वीडियो उजागर होने के बाद भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. यही कारण है कि इस पटवारी के हौसले इतने बुलंद हैं कि फौती नामांतरण में भी एक-एक लाख की वसूली कर रहा है, लेकिन राजनीतिक संरक्षण के कारण आज तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई है. डंके की चोट पर खुलेआम पैसे मांगता है, लेकिन कोई भी अधिकारी इस पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है.