सात समंदर पार से आए मेहमान परिंदे, नर्मदा नदी में कर रहे अठखेलियां

हर साल की तरह प्रवासी पक्षियों का आना हुआ शुरू

जबलपुर:  ठंड आते ही शहर में नर्मदा तटों और आस-पास के क्षेत्रों में प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल लिया दिया है। प्रवासी पक्षियों के प्रवास के इलाके का मौसम गुलजार हो गया है। प्रवासी पक्षियों की अठखेलियों ने  लोगों का मन मोह लिया है। आलम ये है कि अल सुबह से ही लोग इन पक्षियों को देखने नर्मदा के तट ग्वारीघाट पहुंच जाते हैं। जो अपने साथ इन पक्षियों को खिलाने के लिए उनका खाना भी लेकर आते हैं। उल्लेखनीय है कि शहर में साल भर पक्षियों का डेरा रहता है। कुछ मौसम के अनुसार शहर आते हैं, तो कुछ यहीं बस जाते हैं। शहर का मौसम काफी अनुकूल है। इसलिए यहां पक्षियों का आना-जाना लगा रहता है। शहर में हिमालय के साथ यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और साइबेरिया से भी पक्षी आते हैं। इसका कारण शहर में उन देशों की अपेक्षा गर्माहट का अहसास होना है।
लोगों को लुभा रहे प्रवासी पक्षी
नर्मदा की लहरों पर अठखेलियां करता समुद्री पक्षी गल और देश-विदेश से आए सैलानी परिंदे पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं।
सीजन खत्म होतें ही समुद्र तटों का रुख करेंगे-
जानकारों के अनुसार, सर्दी शुरू होते ही यूरोपीय देशों (उत्तर की ओर) से पक्षियों का झुंड मध्य भारत की ओर आता है। नर्मदा की अथाह जलराशि, शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जलस्रोत बचे हुए हैं, जो उनके हैबिटेट से मेल खाते हैं। फरवरी से पक्षियों की वापसी शुरू होगी। वे विभिन्न ठिकानों पर ठहरते हुए समुद्र तटों का रुख करेंगे।
मुरमुरा खिला ले रहे सेल्फी
नर्मदा नदी में इन दिनों समुद्री पक्षी सी गुल्स का प्रवास है। ग्वारीघाट में लोग इन्हें लुभाने के लिए मुरमुरा खिलाते हैं, तो उनका झुंड चहचहाता हुआ नावों के करीब आ जाता है। बोटिंग करने वाले बर्ड्स के साथ सेल्फी लेते हैं। कुछ लोग वीडियो भी बना रहे हैं। बोटिंग नहीं करने वाले गीला आटा और मुरमुरा खिलाते हैं।
ये मेहमान आते हैं जबलपुर

जानकारी के अनुसार यूरोप का रेड ब्रेस्टेड फ्लाई कैचर, उत्तर भारत का ब्लैक हेडेड बंटिंग, रेड हेडेड बंटिंग, कजाकिस्तान, पाकिस्तान की ओर से आने वाले वॉब्लर्स, यूरोपियन, हिमालय की तराई के वर्डेटर फ्लाई कैचर, ड्रे हेडेड केनरी फ्लाई कैचर, अल्ट्रा मरीन फ्लाई कैचर का हर साल शहर मे डेरा रहता है। भारतीय प्रवासी पक्षियों में रेड केस्टेड कॉमन कोचर, टफटेड ग्रे ब्लैक गूज, गल बर्ड भी जलस्रोतों के आस-पास डेरा डाले हुए हैं। यूरोपियन ग्रेटर्स स्पॉटेड ईगल, भारतीय प्रजाति का कॉमन कैस्टल, लॉन्ग लेग बजार्ड भी देखे जा रह हैं।
375 प्रजातियां मौजूद

संस्कारधानी समेत महाकोशल में पक्षियों की 375 प्रजातियां मौजूद हैं। जो पर्यावरण को समृद्ध बना रही हैं। कहा जाता है कि हर प्राणियों का अलग महत्व होता है। पक्षी जहरीले कीटों और पतंगों को खाकर पर्यावरण को अच्छा बनाने में योगदान देती हैं।

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