उम्मीद नहीं छोड़ी इंदौरियों ने

सियासत

निगम मंडलों में थोकबंद नियुक्तियां हो चुकी है। इंदौर से सावन सोनकर को पद मिला है। उनके अलावा संभागीय संगठन मंत्री रहे जयपाल सिंह चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। इन नियुक्तियों से भाजपा में निराशा देखी गई क्योंकि जयपाल सिंह चावड़ा के नियुक्ति की किसी को उम्मीद नहीं थी। हालांकि सावन सोनकर हकदार थे । इंदौर के नेताओं की नाराजगी के बाद प्रदेश भाजपा ने यह संकेत दिया है कि अभी निराश होने की आवश्यकता नहीं।

सरकार के पास ढेरों पद हैं जिनमें दावेदारों को एडजस्ट किया जा सकता है। पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग, राज्य योजना मंडल, महिला आयोग सहित अनेक निगम मंडलों में उपाध्यक्ष और सदस्यों का गठन होना है। इनमें इंदौर के नेताओं को स्थान मिल सकता है। इंदौर से सुदर्शन गुप्ता, बाबू सिंह रघुवंशी, भंवर सिंह शेखावत, उमेश शर्मा सहित करीब आधा दर्जन नेता कतार में हैं। इन सभी को कहीं ना कहीं एडजस्ट किया जाएगा – ऐसा संकेत है। इसलिए भाजपा नेताओं ने अभी आस नहीं छोड़ी है।

अब सदस्य बनने की होड़
इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद के लिए जयपाल सिंह चावड़ा को नियुक्ति मिल गई है। एक-दो दिन में शुभ मुहूर्त देखकर कार्यभार संभालेंगे। श्री चावड़ा की कोशिश है कि इस अवसर पर इंदौर के सभी विधायक, सांसद शंकर लालवानी और दोनों मंत्री मौजूद रहें। जिससे यह संदेश जाए कि भाजपा में कोई मतभेद नहीं है। प्रदेश सरकार ने प्राधिकरण में अध्यक्ष के पद पर जयपाल सिंह चावड़ा को तो बिठा दिया है लेकिन उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति होना है। क्योंकि नगर भाजपा की कार्यकारिणी का गठन नहीं हुआ है इसलिए भाजपा के कार्यकर्ता चाहते हैं कि कम से कम प्राधिकरण का गठन हो जाए तो उसमें अवसर मिल सकें।

नगर भाजपा में पदाधिकारी रहे अनेक नेता और पूर्व पार्षद इस संबंध में लॉबिंग कर रहे हैं। विकास प्राधिकरण में सदस्य और उपाध्यक्ष रहे हरिनारायण यादव ,विजय मालानी जैसे अनेक सदस्य फिर से नियुक्त होना चाहते हैं इनके अलावा चंदू शिंदे, सुधीर देड़गे, बलराम वर्मा, अशोक चौहान जैसे अनेक नेता भी प्राधिकरण के गठन का इंतजार कर रहे हैं। नगर भाजपा की कार्यकारिणी का भी गठन जनवरी के पहले सप्ताह तक कर दिया जाएगा ऐसे संकेत मिले हैं। यह देखना होगा कि पहले नगर की कार्यकारिणी गठित होती है या प्राधिकरण का गठन होता है। वैसे अतीत में शंकर लालवानी और मधु वर्मा ऐसे प्राधिकरण अध्यक्ष रहे हैं जिन्होंने बिना सदस्यों के भी काम चलाया है। यह मुख्यमंत्री पर निर्भर है कि वह क्या निर्णय लेते हैं।

नव भारत न्यूज

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