ग्वालियर: जीवाजी विश्वविद्यालय परिसर में लगे पेड अपनी जानकारी स्वयं देंगे। पेड़ों की प्रजाति से लेकर हाइट उसकी खासियत और ऑक्सीजन लेवल सहित उसके औषधीय गुणों से संबंधित जानकारी अब आपको मिल जायेगी। इसके लिये जीवाजी विश्वविद्यालय परिसर में लगे पेड़ों पर बारकोड़ लगाये गये हैं। प्रत्येक पेड़ पर लगे बारकोड जेयू-बारकोड क्यूआर कोड़ स्केन से पेड़ की पूरी जानकारी मिल जायेगी।
इसकी शुरूआत जीवाजी विश्वविद्यालय की पर्यावरण अध्ययनशाला परिसर में लगे पेड़ों से कर दी गयी है। बसंत पंचमी पर जेयू-बारकोड स्कीम का शुभारंभ जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने सरस्वती पूजा के बाद पेड़ों पर लगाये बारकोड़ पर पर्दे को हटाकर किया ।
पर्यावरण अघ्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. हरेन्द्र शर्मा की पहल की कुलपति अविनाश तिवारी ने भी तारीफ की। इस मौके पर कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया, तपन पटेल, जेएन गौतम, एसके सिंह, शांतिदेव सिसोदिया, प्रो. आईके पात्रो, प्रो. एसके द्विवेदी, प्रो. एसएन महापात्रा, प्रो. एसके सिंह और विमलेन्द्र राठौर और पं. नवनीत शर्मा विभाग के शिक्षक व छात्र उपस्थित रहें। यह सारा कार्य पर्यावरण अध्ययनशाला के छात्र विकास पाराशर ने अपने साथियों के मिल कर शुरूआत की है।विकास पाराशर ने बताया कि अभी पर्यावरण अध्ययनशाला के बाहर 15 प्रजातियों के लगभग 40 पेड़ों पर बारकोड़ लगाये गये है, फिलहाल बारकोड़ को लेमीनेट करके लगाया गया है।
डेटा की जानकरी में फायदेमंदइस संबंध में पर्यावरण विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. हरेंद्र शर्मा ने बताया कि कई पेड़ों के बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते। पेड़ों पर बार कोड लगाने से उसकी स्केनिंग होगी और मोबाइल की स्क्रीन पर उस पेड़ की पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इसमें उस पेड़ का सामान्य नाम, उसका वानस्पतिक नाम, उसकी फैमिली, उसकी उम्र, उसके औषधीय व अन्य गुण सहित पूरा डेटा मोबाइल की स्क्रीन पर आ जाएगा। इस पूरी प्रोसेस में महज कुछ सेकंड ही लगते हैं। डॉ. शर्मा ने बताया कि इस डिजिटलाइजेशन का फायदा छात्रों, शोधार्थियों के साथ आमजन को भी मिलेगा।
जेयू के पेड़ों पर बार कोड लगाने में पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के ही पूर्व छात्र विकास पाराशर का अहम योगदान रहा है। विकास ने बताया कि इसके लिए उन्होंने पहले जेयू परिसर में लगे पेड़ों का सर्वे किया, उसके बाद उनकी कोडिंग की, फिर उसके लिए बार कोड तैयार कर उन्हें सॉफ्टवेयर के माध्यम से अटैच कर दिया। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लगा।
इन पेड़ों पर किया अटैच
पहले चरण में नीम, आंवला, बादाम, सिरस सागौन, पीपल , साल, अशोक, पलाश, कदंब, यूकिलिप्टिस, रेड बड लीफ और बॉटल पाम सहित 15 प्रजातियों के 40 पेड़ों पर बार कोड लगाए गए हैं।यह एक अच्छी पहल है। इससे आमजन को पेडों को पेड़ों के बारे में आसानी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। इसका विस्तार कर शहर और आसपास के सात- आठ हजार पेड़ों को इससे जोड़ा जाएगा। साथ ही इसे जीपीएस से भी लिंक करेंगे, ताकि पेड़ों की लोकेशन आसानी से पता चल सके।
प्रो. अविनाश तिवारी, कुलपति जेयू