चंबल का जत्था भी शामिल हुआ मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत में 27 सितंबर को होगा भारत बंद

मुरैना:  देशव्यापी किसान आंदोलन दिनोंदिन गति पकड़ता जा रहा है. मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत में चंबल क्षेत्र के भी सैकड़ों किसान शामिल हुए। मुरैना, भिंड, ग्वालियर, सहित सातों जिलों के सैकड़ों किसानों ने बसों और अपने परंपरागत वाहनों से रैली में भागीदारी की। इस किसान महापंचायत से लौटकर किसान सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक तिवारी ने बताया कि यह हिंदी भाषी क्षेत्र की सबसे बड़ा किसानों की महापंचायत थी जिसमें लगभग 20 लाख से ज्यादा किसानों ने भागीदारी की। जिसकी अगुवाई मुजफ्फरनगर की जनता द्वारा की गई। हजारों लंगर लगाए गए। कोई भी किसान साथी भूखा नहीं जाए इसका पुख्ता बंदोबस्त किया गया।

कॉलेज प्रांगण में विशाल सभा हुई। जिसे किसान नेता राकेश टिकैत, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव 8 बार सांसद रहे हन्नान मौल्लह, बीजू कृष्णन जय किसान आंदोलन के योगेंद्र यादव, पंजाब के किसान नेता चढूनी,रज्जोवाल सहित एक सैकड़ा से ज्यादा किसान नेताओं ने संबोधित किया। इस किसान महा समागम की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इतना भारी जमावड़ा होने के बाद भी किसी तरह की कोई परेशानी आम नागरिकों को नहीं हुई। घटना, दुर्घटना की भी कोई जानकारी नहीं मिली। यही इस आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पूरी कार्रवाई शान पूर्वक संपादित हुई। हालांकि भाजपा के कुछ तत्वो ने हुड़दंग करने की कोशिश की।  लेकिन उसे भी किसानों ने नाकाम कर दिया।
500 से ज्यादा किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चा ने आगामी कदम के तौर पर 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।

इसके साथ ही देश के सभी जिलों में संयुक्त किसान मोर्चा गठित करने का भी आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों की वापसी, ठेका खेती के कानून को वापस लेने, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधनों को वापस लेने, के साथ ही संसद में लंबित बिजली के निजीकरण के बिल को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी करने का कानून बनाने की मांग को लेकर 9 महीने 10 दिन से आंदोलन दिल्ली की पांचों सीमाओं पर जारी है। 650 से ज्यादा किसान शहीद हो गए हैं ।अभी हाल ही में करनाल में लाठीचार्ज में किसान सुशील काजल की शहादत हो गई है। उसके बाद भी कॉर्पोरेट परस्त मोदी सरकार किसानों की सुनने के बजाय दमन पर आमादा है। किसान नेताओं ने आह्वान किया है, चाहे कुछ भी हो लेकिन दिल्ली की पांचों सीमा पर चल रहा आंदोलन और देश भर में चल रहा आंदोलन एकजुट है, कानून वापसी करनी होगी।

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