चीन से जो खबरें छनकर बाहर आ रही हैं.उसके अनुसार स्वास्थ्य की बदहाली के बाद अब वहां की आर्थिक स्थिति भी खराब हो गई है. कोरोना की नई लहर के कारण चीन में तबाही के हालात हैं. चीन का स्वास्थ्य ढांचा पूरी तरह से चरमरा गया है .अस्पतालों में जगह नहीं है. लाशों के अंबार पड़े हैं. कहा जा रहा है कि आने वाले दो-तीन महीनों में चीन में 60 लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं. कुल मिलाकर चीन में स्थिति बेहद भयावह है. कोरोना के कारण ही चीन की आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह खस्ता हो गई है. दरअसल,पिछले साल कोरोना वायरस से निपटने के लिए लगाई गईं पाबंदियों, रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी के कारण चीन की आर्थिक वृद्धि दर 2022 में घटकर तीन फीसदी पर आ गई है. यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में 50 साल में दूसरी सबसे धीमी वृद्धि की रफ्तार है. आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली है कि 2022 में चीन का सकल घरेलू उत्पाद 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर रहा. चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.5 फीसदी के आधिकारिक लक्ष्य से काफी नीचे रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाबंदियां हटने के बाद से धीरे-धीरे शॉपिंग मॉल और रेस्तरां में लोगों की मौजूदगी बढ़ रही है. वहीं सरकार के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि संक्रमण की मौजूदा लहर गुजर चुकी है.इससे पहले 1974 में चीन की वृद्धि दर 2.3 फीसदी रही थी. उल्लेखनीय है कि इस साल डॉलर मूल्य में चीन की जीडीपी दर 2021 के 18,000 अरब डॉलर से घटकर 17,940 अरब डॉलर पर आ गई है. चीन की मुद्रा (आरएमबी) की तुलना में डॉलर में मजबूती की वजह से ऐसा हुआ है. आरएमबी में चीन की अर्थव्यवस्था 2022 में 1,21,020 अरब युआन रही, जो 2021 में 1,14,370 अरब युआन थी.चीन में इस समय कोरोना के चलते स्थिति बेहद खराब हैं और हाल ही में दावा किया गया है कि एक महीने में करीब 60,000 से ज्यादा मौतें इस महामारी के वजह से हुई हैं. चीन में लॉकडॉउन के चलते आर्थिक गतिविधियां लंबे समय तक ठप रहीं और इसी का असर देखा गया है कि यहां आर्थिक विकास दर पिछले 50 सालों में दूसरे सबसे निचले स्तर तक जा गिरी है. चीन के बारे में मीडिया या अन्य देशों को बहुत कम जानकारी मिल पाती है . इसका कारण यह है कि वहां मीडिया स्वतंत्र नहीं है. जो कुछ सरकारी मीडिया बताता है या जो कुछ हांगकांग या ताइवान के जरिए पता चलता है उसी के आधार पर दुनिया आकलन करती है. कम्युनिस्ट शासन प्रणाली के कारण वहां तानाशाही है. इस कारण चीन में मनमाने श्रमिक कानून लागू हैं. सस्ते श्रम के कारण चीन निर्माण उद्योगों में अपनी धाक रखता है. कोरोना संक्रमण के कारण पिछले दो-तीन वर्षों में चीन के निर्माण उद्योग को काफी हानि हुई है. विदेशी पूंजी निवेश भी घटा है. ऐसे में जाहिर है उसकी अर्थव्यवस्था बेपटरी होती जा रही है. कुल मिलाकर चीन भी अपनी हरकतों का शिकार हो रहा है. उसके विस्तारवादी नीतियां आज उसी के लिए गले की हड्डी बन गई है, क्योंकि इन्हीं विस्तारवादी नीतियों कारण उसका रक्षा बजट अन्य देशों के अनुपात में बहुत अधिक है. चीन खुद को अमेरिका के समकक्ष रखता है लेकिन उसकी जो मौजूदा स्थिति है उसे साफ पता चलता है कि वह इस समय अमेरिका से काफी पीछे है. ऐसे में उसने दुनिया से अपने संबंध अच्छे नहीं रखें तो उसके विनाश को कोई नहीं रोक सकता. चीन की जनता लोकतंत्र चाहती है लेकिन सेना के बल पर चीन जनता की आवाज को कुचल रहा है. कुल मिलाकर चीन को पहले खुद अपने घर को मजबूत करना होगा तभी वह दुनिया में अपना वर्चस्व कायम करने का सपना देख सकता है. वहां के हालात भी दुनिया के लिए एक सबक हैं. खासतौर पर भारत को सतर्क रहना चाहिए.