(विंध्य की डायरी)
विनोद तिवारी
खास बातें
- कांग्रेस जिलाध्यक्ष ग्रामीण राजेन्द्र मिश्रा बर्खास्त
- अजय सिंह व डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह सहित आधा दर्जन दावेदार
- दोनों नेता तीन-तीन बार हार चुके हैं चुनाव
- मझगवां में दोनों नेताओं के समर्थकों ने की नारेबाजी
- डॉ. राजेंद्र सिंह के समर्थक माने जाते हैं दिलीप मिश्रा
- राजेन्द्र मिश्रा पर अनुशासन-हीनता को बढ़ावा देने का आरोप
पन्द्रह साल के वनवास के बाद सत्तारूढ़ हुई कांग्रेस में सतना लोकसभा टिकट के लिए स्पर्धा दावेदारों के समर्थकों के बीच लड़ाई झगड़े से आगे कुर्सी तोड़ प्रतियोगिता तक पहुंच गई है. इसका खामियाजा कांग्रेस जिलाध्यक्ष ग्रामीण राजेन्द्र मिश्रा को पद गवांकर उठाना पड़ा है. हुआ यह कि लोकसभा चुनाव प्रभारी बनाए गए पूर्व मंत्री यादवेन्द्र सिंह टीकमगढ़, इस सप्ताह सतना पहुंच कर ब्लाक मुख्यालयों में पहुंच कर लोकसभा प्रत्याशी के लिए कार्यकर्ताओं से रायसुमारी किया.
सतना लोकसभा टिकट के लिए कांग्रेस के दो बड़े दिग्गज नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डा. राजेन्द्र कुमार सिंह सहित आधा दर्जन दावेदार हैं. दोनों दिग्गजों को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. इसलिए दोनों अपने राजनीतिक पुर्णोद्धार के लिए लोकसभा चुनाव में एक बार फिर टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि अजय सिंह राहुल पिछला और डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह तीन बार लोकसभा चुनाव हार चुके हैं. लेकिन अगले चुनाव के लिए पुन: दावेदारी जता रहे हैं. इसलिए दोनों दिग्गजों के समर्थक अपने नेता की पैरवी में पीछे नहीं रहना चाहते. इस कारण विगत दिवस लोकसभा प्रभारी रायशुमारी के लिए मझगवां पहुंचे तो दोनों नेताओं के समर्थक अपने-अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी किया.
यह नारेबाजी इतनी बढ़ी की कुर्सी पटकने और तोडऩे तक पहुंच गई. जिसकी शिकायत प्रभारी ने भोपाल में कर दी. इस कारण डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह समर्थक कांग्रेस ग्रामीण जिलाध्यक्ष को तुरत-फुरत हटाकर पूर्व जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा को पुन: मनोनीत कर दिया गया. कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई. गुटबाजी का खामियाजा कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में भोगना पड़ सकता है.
कांग्रेस में फिर बदलाव
विधानसभा चुनाव के पूर्व जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण के जिलाध्यक्ष दिलीप मिश्रा को निष्क्रियता के आरोप में हटा कर राजेन्द्र मिश्रा को जिलाध्यक्ष बनाया गया था. अब जब लोकसभा चुनाव नजदीक है तब अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने के आरोप में राजेन्द्र मिश्रा को हटाकर दिलीप मिश्रा को पुन: कांग्रेस की बागडोर सौंप दी गई है. जबकि राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि ऐन चुनाव के समय संगठन में हुए फेरबदल के चलते ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जिले की सात में से पांच सीटें गंवानी पड़ी है. अब पुन: संगठन में फेरबदल लोकसभा चुनाव के परिणाम में क्या गुल खिलाएगा यह राम जाने.
सामूहिक इस्तीफे की धमकी
जिला कांग्रेस कमेटी ग्रामीण सतना के जिलाध्यक्ष राजेन्द्र मिश्रा को एकाएक हटा देने से कांग्रेस के एक धड़े में जहां नाराजगी है वहीं दूसरे धड़े में प्रसन्नता व्याप्त है. जिसको लेकर कांग्रेस के ग्रामीण कार्यालय में विगत दिवस एक धड़े के नेताओं ने एक बैठक करके राजेन्द्र मिश्रा को पुन: जिलाध्यक्ष बनाए जाने की मांग करते हुए चेतावनी दी की अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम लोग सामूहिक रूप से कांग्रेस से इस्तीफा दे देंगे.
यह अलग बात है कि इस बैठक में हटाए गए जिलाध्यक्ष राजेन्द्र मिश्रा शामिल नहीं थे लेकिन पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ता भारी संख्या में उपस्थित थे जो कांग्रेस में सेहत के लिए ठीक नहीं है. राजनीतिक जानकार कांग्रेस में चल रहीं गतिविधियों को दो दिग्गज कांग्रेस नेताओं के बीच आपसी टकराव का परिणाम मान रहे हैं. जो रिश्ते में मामा-भांजा लगते हैं.
भाजपा संगठन मंत्रियों पर नकेल
विधानसभा चुनाव में भाजपा के संगठन मंत्रियों की कार्यप्रणाली और मनमानी फैसलों की शिकायतें मिलने के बाद प्रदेश नेतृत्व ने संगठन मंत्रियों पर नकेल लगा दिया है. अब संगठन मंत्री अकेले कोई निर्णय नहीं ले सकेंगे बल्कि चार अन्य सदस्यों की सहमति लेनी होगी. इनमें एक आरएसएस का भी प्रतिनिधि होगा. इससे भाजपा में आरएसएस की पकड़ और मजबूत होगी.
महापौर की छटपटाहट
सतना की महापौर ममता पाण्डेय की कांग्रेस नेताओं से इस समय नजदीकियां चर्चा में है पाण्डेय न केवल कांग्रेस नेताओं के साथ मंच साझा कर रही हैं बल्कि कांग्रेस नेताओं की तारीफों के पुल बांध रही हैं. विगत दिवस तो एक कार्यक्रम में यहां तक कह दिया कि अजय सिंह राहुल भइया अजेय हैं. इतना ही नहीं उन्होंने मंच से यहां तक कहा कि मीडिया वाले मेरी बात अवश्य छापें.
पाण्डेय के यह तेवर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सुर्खियां बटोर रही हैं. वैसे पार्टी से वे तब से नाराज है जब विधानसभा के टिकट वितरण के दौरान उनकी दावेदारी को नजर अंदाज कर दिया गया था. उनके तेवर से लगता है कि वे शीघ्र ही कांग्रेस का दामन थामने का मन बना लिया है. वैसे कांग्रेस में जाने से वह इनकार कर रही हैं.