जयवर्धन में मंत्री बनने की सभी योग्यता लेकिन निर्णय मुख्यमंत्री को करना है: दिग्गी राजा
गोविन्द बड़ोने
ब्यावरा, हर पिता अपने पुत्र को सफलता की ऊंचाईयों पर देखना चाहता है. दिग्विजय सिंह भी अन्य पिता की तरह अपने पुत्र जयवर्धन की सफलता के लिये चाहते तो ऐसा ही कुछ है लेकिन वे अपने प्रभाव का उपयोग करने की बजाय पुत्र को अपनी दक्षता, योग्यता साबित करने की सीख देने के बाद अब पार्टी और समाज से उसका मूल्यांकन करने की अपेक्षा रखते है. वास्तविकता यह भी है कि अपने पुत्र में वे अपनी प्रतिकृति देखना चाहते है.
गौरतलब है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही मंत्री पद को लेकर कांग्रेस में रस्साकसी का दौर चल रहा है. इस रेस में राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह भी शामिल है. वे दूसरी बार बिना किसी स्टार प्रचारक के (दिग्विजय भी नहीं आए) भारी मतो के अंतर से चुनाव जीतकर आए है.
अपनी योग्यता, उच्च शिक्षा, राजनीतिक समझ , जनता और प्रशासन के बीच बेहतर संवाद का अंदाज, विषयों को समझना और तार्किकता के साथ अपनी बात कहने की कला, व्यवहार में विनम्रता, शिष्टाचार निभाने और कठिन परिश्रम करने में वे अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह से एक कदम भी पीछे नहीं है.
श्री जयवर्धन सिंह अपनी अल्प आयु और कम अनुभव में बेहतर समझ रखने वाले युवा नेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके है. वे आमजन और पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं में अपनी लोकप्रियता की छाप छोड़ चुके है.
दिग्विजय सिंह यह अच्छी तरह जानते है कि भविष्य में अगर जेवी को अपने पदचिन्हों पर चलाते हुए बड़ी जिम्मेदारी तक पहुंचाना है तो इसकी शुरूआत मंत्रीपद से ही संभव है. तभी उनमे कुशल प्रशासक की क्षमता विकसित होगी और उसके बाद किये जाने वाले मूल्यांकन उन्हें आगे बढऩे का अवसर प्रदान करेंगे. श्री दिग्विजय सिंह अपने पुत्र को कदम-कदम पर राजनीति की बारीकियों को समझा रहे है और अधिकांश अवसरो पर अपने साथ रखते है जिससे वे बहुत कुछ सीख सके.
मैं जेवी को मंत्री बनाने की कोई पैरवी नहीं करूंगा
प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने में अपनी प्रभावी भूमिका के लिये जाने जा रहे श्री सिंह अपने पुत्र को मंत्री बनाने की बात पर यह कहते है कि जेवी राजनीति में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के हर कदम को आगे बढ़ा रहे है, उनमे तमाम योग्यता मौजूद है लेकिन वे उन्हें मंत्री बनाने की कोई पैरवी नहीं करेंगे.
यह मुख्यमंत्री का निर्णय होता है कि वे किसे मंत्री बनाएं किसे नहीं. श्री सिंह की यह स्वीकारोक्ति कि जेवी मंत्री बनने की पूरी योग्यता रखते है, यह इस बात का संकेत जरूर है कि वे अपने पुत्र में अपनी प्रतिकृति गढऩा चाहते है!