खास बातें
- विंध्य में गुटबाजी छोडऩे को तैयार नहीं कांग्रेस
- सम्मेलन में हुई जो शर्मनाक हुल्लड़बाजी, मंत्री ने दी नसीहत
- प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के साथ पूर्व में हुई थी धक्कामुक्की
- बसपा सुप्रीमो ने बड़े नेताओं को पार्टी से निकाला, छिन्न-भिन्न हुई पार्टी
- पूर्व बसपा विधायक ऊषा चौधरी ने थामा कांग्रेस का दामन
विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित होने के बाद भी गुटबाजी छोडऩे को कांग्रेसी तैयार नहीं हैं. इसका उदाहरण विगत दिवस रीवा में आयोजित कांग्रेस के जिला सम्मेलन में देखने को मिला. सम्मेलन लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर आयोजित था लेकिन सम्मेलन में जो शर्मनाक हुल्लड़बाजी हुई इससे साफ संदेश निकला कि कांग्रेसी सुधरने को तैयार नहीं हैं. यदि कहा जाए कि कांग्रेस को कांग्रेसी ही हराते हैं तो वह अतिश्योक्ति नहीं है.
गौरतलब है कि रीवा जिला के लिए प्रभारी बनाई गई होशंगाबाद की पूर्व विधायक सरिता दीवान एवं जिले के प्रभारी मंत्री लखन घनघोरिया का यह रीवा का पहला दौरा था. मंच में बैठने एवं भाषण देने को लेकर जिस तरह से कांग्रेस नेताओं ने हंगामा मचाया और दोनों प्रभारियों के हस्ताक्षेप के बाद टीका टिप्पणी एवं हुल्लड़बाजी जारी रही उससे साफ है कि रीवा जिले की गुटबाजी ने ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सभी आठ सीटें गंवानी पड़ी है.
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व भी रीवा में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के साथ कांग्रेस नेताओं ने धक्कामुक्की और अभद्र व्यवहार किया था जिसकी गूंज पार्टी हाईकमान तक हुई थी और कई पार्टी पदाधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हुई थी, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने उससे सबक नहीं लिया और वही काम लोकसभा चुनाव के पूर्व ही शुरू कर दिया है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, राम जाने.
बसपा के वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर: लोकसभा चुनाव की तैयारियां दोनों प्रमुख पार्टियों ने जोर शोर से प्रारंभ कर दिया है. दोनों की नजर बसपा के वोट बैंक है जो विधानसभा में हार और उसके बाद बसपा सुप्रीमो द्वारा बड़े नेताओं को पार्टी से निकाले जाने के बाद छिन्न भिन्न है. लेकिन इस मामले ने पहली बाजी कांग्रेस ने मार दिया है. शुरू से बसपा मिशन से जुड़ी रहीं पूर्व विधायक ऊषा चौधरी को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई है.
चौधरी को कांग्रेस में लाने का श्रेय पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल को जाता है जो सतना लोकसभा सीट कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार हैं. सिंह सतना से लोकसभा चुनाव पिछली बार मामूली अन्तर से भाजपा के गणेश सिंह से हार गये थे. अब राहुल भइया अपने गढ़ चुरहट से विधानसभा चुनाव हारने के बाद अपने राजनीतिक पुनरोद्धार के लिए सीधी या सतना दोनों से लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे हैं.इसी क्रम में बसपा की पूर्व विधायक ऊषा चौधरी को बसपा में शामिल कराया है. जिनके माध्यम से दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने की रणनीति है.
सतना स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट फंसा: प्रदेश के नये नवाले नगरीय प्रशासन मंत्री राजबद्र्धन सिंह ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्टो को होल्ड कर दिया. तर्क यह दिया गया कि शहर से 15 किलोमीटर दूर मकान के खरीदार नहीं मिलेंगे. मीडिया में यह खबर आने के बाद भाजपा समर्थक सोशल मीडिया में सक्रिय हो गये और कांग्रेस को विकास विरोधी बताने लगे.
हालात को बिगड़ते देखते हुए सतना से लोकसभा टिकट के दावेदारी कर रहे पूर्व नेता प्रतिपक्ष को डैमेज कन्ट्रोल करने के लिए सतना के विकास के लिए बचनबद्ध होने का बयान जारी करना पड़ा.लेकिन भाजपा समर्थकों को तो कांग्रेस सरकार की आलोचना का मौका तो मिल ही गया. इसका लोकसभा चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा.यह समय बताएगा.
चर्चा में राज्यपाल का दौरा
महामहिम राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने विगत दिनों तीन दिन के दौरे पर विंध्य क्षेत्र में आयीं इस दौरान अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में शामिल होने के साथ कई स्कूल, आंगनबाड़ी केन्द्र और अस्पतालों का भ्रमण किया और बैठके लेकर योजनाओं का क्रियान्वयन के संबंध में फीड बैक लिया. इस दौरे को लेकर राजनीतिक लोगों के बीच चर्चा रही कि महामहिम यह दौरा केन्द्र में सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया. सच क्या है राम जाने.
पराजित दिग्गजों पर क्या दांव लगाएगी कांग्रेस
विंध्य की चारों लोकसभा सीटों पर अभी भाजपा का कब्जा है. भाजपा इन चारों सीटों को बचाने के लिए कबायद कर रही है. वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव में वापसी के लिए प्रयास शुरू कर दिया है. दोनों को जीताऊ प्रत्याशियों की तलाश है.
इस कारण टिकट दावेदार सक्रिय हो गए हैं. भाजपा रीवा सीट पर प्रत्याशी बदल सकती है. कांग्रेस टिकट के लिए विंध्य में विधानसभा चुनाव हारे नेता भी सक्रिय हैं जिसमें दिग्गज शामिल हैं. इस कारण फिलहाल किसे किसे लोकसभा चुनाव लड़ाया जाएगा अभी तय नहीं है. पर माना जाता है कि टिकट वितरण में मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रमुख भूमिका होगी.