मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने राज्य में 10 मार्गदर्शी बिन्दु तय करते हुए यह निर्देश दिया है कि किसी भी शहर के सुनियोजित विकास के लिये मास्टर प्लान में उनके मार्गदर्शी बिन्दुओं का अनिवार्य रूप से पालन किया जाए. शहरी मास्टर प्लान में नयी ओर पुनर्रीक्षित विकास योजनाओं को लागू करने से पूर्व उन पर केबिनेट का अनुमोदन प्राप्त किया जाए. सरकारी भूमि पर से अतिक्रमण फौरन हटाया जाए.
मध्यप्रदेश के मास्टर प्लानों पर मुख्यमंत्री श्री अर्जुन सिंह के शासन काल में ऐसा वज्रपात हुआ कि राज्य भर के सभी मास्टर प्लानों के धज्जे उड़ गये और वे मास्टर प्लान ही नहीं रहे.
श्री अर्जुन सिंह ने झुग्गियों के बारे में यह फैसला लिया कि जो भी झुग्गी जहां बसी हैं वही उस भूमि की मालिक हो गयी. श्री अर्जुन सिंह के बाद श्री मोतीलाल वोरा मुख्यमंत्री बने और उन्होंने यह स्वीकार किया कि झुग्गी निर्णय से राज्य भर के मास्टर प्लान ही गड़बड़ हो गये हैं और आगे से ऐसा नहीं किया जायेगा.
राजधानी भोपाल के रेलवे स्टेशन हबीबगंज का निर्माण कार्य व विकास न हो सका क्योंकि रेलवे क्षेत्र में सैकड़ों झुग्गियां बन गयी थीं.राज्य में अब स्मार्ट सिटी आदि के विकास कार्यक्रम चल रहे हैं, उनमें भी झुग्गियां आड़े आ रही हैं. मास्टर प्लान तभी लागू हो सकते है जब नगरीय भूमि अतिक्रमण से मुक्त हो जाये.