प्रवेश कुमार मिश्र
नई दिल्ली, चुनाव के पहले केन्द्र सरकार द्वारा पेश अंतरिम बजट को चुनावी दृष्टि से मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है. इसमें सरकार ने न सिर्फ समान्य आय वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर आयकर के निम्नतम दायरा को दोगुना कर दिया है बल्कि छोटे किसानों को साधकर चुनावी संघर्ष को नया दिशा देने का पूरजोर प्रयास किया है.
हालांकि राजनीतिक जानकार इस बजट को किसी भी मायने में अंतरिम बजट के श्रेणी में रखने से इंकार करते हुए अप्रत्यक्ष रूप इस परंपरा की आलोचना भी की है. वैसे यदि इस बजट की विस्तृत समीक्षा की जाय तो यह साफ है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने आम लोगों को फायदा दिलाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को प्रमाणित करने का प्रयास किया है.
बजट में कई ऐसी घोषणा भी की गई है जिसका प्रत्यक्ष असर आगामी पांच-दस वर्षों में दिखेगा. इसलिए जहां एक ओर विपक्ष इसे सपना बताया है वहीं सत्ता पक्ष इस सरकार की दूरगामी सोच का प्रमाण कहा है. हालांकि इस बजट के विस्तार में जाएं तो पाएंगे कि कई आवंटन कम करके रखा गया है.
पिछले बजट की तुलना में ग्रीन रिवोल्यूशन, व्हाइट रिवोल्यूशन, ब्लू रिवोल्यूशन, प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, स्वच्छ भारत मिशन, महिला सशक्तिकरण जैसी योजनाओं में आवंटन कम कर दिया गया है. इसका अर्थ यह हुआ कि रियलिस्टिक एस्टीमेट नहीं बनाया गया है.जबकि छोटे किसानों को तीन किस्तों में सालाना 6,000 रुपए नकद देने की बात कर सरकार ने किसानों को साधने का प्रयास किया है लेकिन इसके तह मे भी कई तरह की अप्रत्यक्ष नियम रखा गया है जिसे चुनाव तक समझना आसान नहीं होगा.
मध्यम आय वर्ग के लोगों के प्रति लागाव दिखाकर जिस तरह से टैक्स के बदलाव किया गया है वह निश्चित तौर पर चुनाव में तुरूप का एक्का साबित होगा. सरकार ने अगले दशक के लिए 10 सूत्री परिकल्पना पेश की है, जिसमें एक ऐसे भारत के निर्माण की बात है जहां गरीबी, कुपोषण, गंदगी और निरक्षरता बीते समय की बातें होगी. भारत एक आधुनिक, प्रौद्योगिक से संचालित, उच्च विकास के साथ एक समान और पारदर्शी समाज होगा.
हालांकि सरकार की इस परिकल्पना की विपक्ष की ओर से आलोचना भी हो रही है. विपक्षी नेता कह रहे हैं कि सपना दिखाने का फिर प्रयास किया गया है किसानों के लिए जो किया गया है वह ऊंट के मुंह में जीरा समान है . बहरहाल सरकार ने जिस तरह से सभी वर्गों को साधने का प्रयास कर एक तीर से कई निशान साधा है.