मुंबई, हिंदी सिनेमा जगत के दिग्गज अभिनेता और पटकथा एवं संवाद लेखक कादर खान का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार तड़के कनाडा में टोरंटो के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे।
श्री खान के करीबी रिश्तेदार अहमद खान ने यूनीवार्ता को बताया कि उनका इंतकाल हो गया है। अभिनेता लंबे समय से बीमार थे और लगभग 16-17 सप्ताह से टोरंटो के एक अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें 28 दिसंबर को सांस लेने में दिक्कत के बाद विशेष वेंटीलेटर पर रखा गया था। उन्होंने बताया कि श्री खान का इंतकाल भारतीय समयानुसार तड़के करीब चार बजे (स्थानीय समयानुसार शाम लगभग छह बजे) हुआ।
उन्होंने बताया कि अभिनेता को टोरंटो में ही सुपुर्द ए खाक किया जाएगा। उनके परिवार में पत्नी हाजरा, पुत्र सरफराज, बहू और पोते-पोतियां हैं।
अफगानिस्तान के काबुल में 22 अक्टूबर 1937 को अब्दुल रहमान खान और इकबाल बेगम के घर जन्में कादर खान ने 43 वर्ष के फिल्मी कैरियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया और लगभग 250 फिल्मों के संवाद लिखे। वह सहनायक, खलनायक, हास्य अभिनेता और चरित्र अभिनेता हर किस्म की भूमिका में खुद को पूरी तरह ढाल लेते थे।
वर्ष 1973 में प्रदर्शित फिल्म ‘दाग’ से उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत में कदम रखा लेकिन इससे उन्हें कोई खास लाभ नहीं मिला और वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिये संघर्ष करते रहे। इसके बाद उन्होंने दिल दीवाना, बेनाम, उमर कैद, अनाड़ी, बैराग, खून पसीना, परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, अब्दुल्ला, दो और दो पांच, कुर्बानी, याराना. बुलंदी और नसीब जैसी कई फिल्में की। इन फिल्मों की सफलता के बाद कादर खान फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गये।
बाद की कई फिल्मों में उन्होंने हास्य अभिनय के भी झंडे गाड़े। जुड़वा, जुदाई, सुहाग, मुझसे शादी करोगी, लकी: नो टाइम फॉर लव, हसीना मान जायेगी, दूल्हे राजा, कुली नंबर 1 और साजन चले ससुराल जैसी फिल्मों में अपने हास्य अभिनय से उन्होंने दर्शकों को लोटपोट कर दिया। गोविंदा के साथ उनकी केमिस्ट्री कमाल की थी और कई फिल्मों में दोनों कलाकारों ने साथ काम किया।
उन्होंने 1970 और 1980 के दशक में कई फिल्मों में पटकथा एवं संवाद लेखन किया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। रोटी, मिस्टर नटवरलाल, सत्ते पे सत्ता, इंकलाब, दो और दो पांच, हम और अग्निपथ जैसी सुपरहिट फिल्मों में संवाद और पटकथा लेखन किया। वह फिल्मों में कैरियर बनाने से पहले मुंबई के एम एच साबू सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाते थे।