भारत में अफीम की खेती नीमच, मंदसौर, रतलाम और लगे हुए राजस्थान के कुछ जिलों में तथा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में होती है. मादक द्रव्य अधिनियमों के तहत इनकी खेती के लिये लाइसेंस दिये जाते है और किसानों को पूरी फसल सरकार को ही बेचनी पड़ती है.
लेकिन इन क्षेत्रों में अफीम तस्कर भी बहुत सक्रिय रहते हैं जो काफी कुछ माल ले भागते है. हाल ही में गैर अफीम क्षेत्र विन्ध्य क्षेत्र के सिंगरोली में भी डेढ़ एकड़ क्षेत्र में अवैध रूप से अफीम की खेती पकड़ी गयी है. वहां चोरी छुपे कई वर्षों से की जा रही थी.
इन दिनों नीमच, मंदसौर क्षेत्र में अफीम की खेती पर संकट आया हुआ है. वहां कई जगह औसत से कम इसकी पैदावार होगी. इस खेती पर शासकीय नियंत्रण रखने वाले नारकोटिक्स विभाग ने औसत पूरी न करने वाले किसानों को खेत उखाडऩे का अवसर दिया है और कई किसानों ने इसके लिये आवेदन भी कर दिया है.
इसके बाद विभाग ही इन खेतों से खराब फसल को उखाडऩे का काम करेगा. हर किसान को प्रति हेक्टेयर 56 किलो अफीम की पैदावार देनी होती है जहां खेती खराब हो जाती है वहां उसे उखाड़ दिया जाता है. इस साल नीमच, मंदसौर व रतलाम जिलों में 28,310 किसानों को पट्टे दिये गये थे. इसमें से बहुत से किसान फसल खराब होने से संकट में आ गये हैं और शासन से मुआवजा चाहते हैं.