भ्रष्टाचार के कारण फिर सुर्खियों में आई नगर परिषद
नवभारत न्यूज हरपालपुर, कहते है पैसा खुदा तो ऩहीं पर खुदा की कसम खुदा से कम भी ऩहीं, ऐसा ही एक मामला नगर परिषद हरपालपुर में पदस्थ रहे ट्रेक्टर ड्राईवर और सहायक राजस्व निरीक्षक अवैध पदोन्नति की जांच में दोषी ठहराये जाने के द्वारा पदस्थ किया जाकर नवाजा गया हैं।
ज्ञात हो कि सुर्खियों में रहने वाली नगर परिषद हरपालपुर में भ्रष्टाचार की जड़े अमरबेल की तरह फैली हुई हैं। यहां का हर छोटा बड़ा कर्मचारी की सैलरी 25 हजार से 50 हजार के बीच हैं पर कर्मचारियों में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी घर कर गई है कि राशन कार्ड से लेकर दाखिल खारिज ऩामातरण, नल कनेक्शन, वृद्धावस्था पेंशन, आवास योजना जैसे आदि कार्य बिना पैसे के ऩहीं होते।
जानकारों का कहना है कि हर अवैध कार्य काली कमाई से कमाये गये पैसे से अधिकारियों नेताओं का ईमान खरीदकर उस कार्य को वैध कराने में सफल होते आये हंै। ऐसा ही एक मामला नियम विरुद्ध अवैध पदोन्नति का चर्चाओं में सुर्खियां बटोर रहा हैं।
क्या है मामला
प्रमुख सचिव नग़रीय एवं विकास विभाग भोपाल एवं नग़रीय आयुक्त को 22 मई को भेजे पत्र में कांग्रेस नेता इसराज मुहम्मद ने नगर परिषद हरपालपुर में राजस्व उपनिरीक्षक के पद के विरुद्ध 3 राजस्व उप निरीक्षक की अवैध पदोन्नति की जांच प्रमुख सचिव नगरीय एवं विकास विभाग के आदेशानुसार कराई गयी थी।
जिस पर प्रमुख सचिव द्वारा नबाव सिंह प्रभारी मुनपा अधिकारी गढ़ीमलहरा एवं महादेव अवस्थी प्रभारी मुनपा अधिकारी बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़ को राजस्व उपनिरीक्षक के पद की पदोन्नति नियम विरुद्ध होने के कारण मूल पद पर सहायक राजस्व निरीक्षक पर पदावनत किये जाने का आदेश पारित किया गया था एवं पदोन्नति करने वाले तत्कालीन मुख्य नग़रपालिका अधिकारी को दंडित किया जाकर दो-दो वेतन वृद्धि संचयी प्रभाव से रोकी गई हैं।
किंतु प्रमुख सचिव को भ्रमित कर पदावनत की जगह महादेव अवस्थी को प्रभारी मुख्य नग़रपालिका अधिकारी के पद पर नगरपरिषद बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ में पदस्थ कर दिया गया हैं एवं नबाव सिंह वर्तमान में नग़रपालिका अधिकारी के पद पर पदस्थ है जबकि उक्त दोनों खुलेआम कहते आये है कि पैसों में इतनी ताकत होती कि पैसे के आगे नियम कानून कायदे सभी शिथिल हो जाते हैं।
कांग्रेस नेता इसराज मुहम्मद का कहना है कि मूलपद पर वापस लिया हैं पर वर्तमान आरएसआई को सीएमओ के पद पर रहने का कोई अधिकार ऩही है। जबकि तरह ईमानदार अफसरों की छवि धूमिल की जा रही है.