मरीज इधर उधर भटकने को मजबूर
नवभारत न्यूज़ भोपाल, राजधानी के जिला अस्पताल जेपी एंबुलेंस की कमी से जूझ रहा है एंबुलेंस की कमी के चलते मरीजों को इधर-उधर भटकने पर मजबूर होना पड़ रहा है.
जेपी अस्पताल में मरीजों के लिए छह एंबुलेंस की आवश्यकता है, पर फिलहाल यहां चार ही एंबुलेंस मुहैया हैं इनमें से भी दो एंबुलेंस में स्टाफ की कमी बनी रहती है ऐसे में मरीज निजी एंबुलेंस सेवा पर ही निर्भर हैं.
हालांकि मरीजों एवं घायलों को राज्य शासन ने 108 एंबुलेंस सेवा शुरू की है, पर इनके जरिये निकटतम सरकारी अस्पताल तक पहुंचाया जाता है अक्सर गंभीर परिस्थितियों में मरीजों को हमीदिया या अन्य अस्पतालों में रैफर करने की स्थिति में मरीजों को एंबुलेंस की कमी खलती है.
दान में मिली 2 एंबुलेंस
स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए इंडियन ऑइल ने जेपी अस्पताल को दो एंबुलेंस दान में दी हैं, पर इन एंबुलेंस के लिए जरूरी स्टाफ अस्पताल के पास नहीं हैं, ऐसे में ये एंबुलेंस बेमानी ही साबित हो रही हैं अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक स्टाफ की कमी के कारण एंबुलेंस के लिए अलग से स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति फिलहाल संभव नहीं है.
6 एंबुलेंस की है आवश्यकता
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक मरीजों को सुचारू स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अस्पताल को छह एंबुलेंस की आवश्यकता है, पर फिलहाल यहां चार ही एंबुलेंस हैं। खास बात है कि दो अतिरिक्त एंबुलेंस के साथ ही फुल टाइम स्टाफ की भी जरूरत बताई जा रही है, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो.
निजी एंबुलेंस का किराया ज्यादा है
आपातकाल में मरीजों को इलाज के लिए अन्य किसी अस्पताल में रैफर करने के दौरान कई बार मरीजों के परिजनों को निजी एंबुलेंस का सहारा लेना पड़ता है एक तो वैसे ही निजी एंबुलेंस का किराया ज्यादा है.
ऊपर से परिस्थिति को देखते हुए एंबुलेंस संचालक मुंहमांगे किराए की मांग करते हैं यदि अस्पताल से एंबुलेंस की मांग की जाती है तो स्टाफ समेत अन्य व्यवस्था करने में समय अधिक लगता है, ऐसे में मरीजों को समय पर उपचार मिलने में बाधा आती है.
जेपी अस्पताल में 2 एंबुलेंस की कमी हैं एंबुलेंस की कमी के विषय में हमनेें स्वास्थ्य विभाग को बता दिया हैं साथ ही एंबुलेंस में स्टाफ की कमी के विषय में भी अवगत करा दिया गया है.
-डॉ. आई के चुघ, अधीक्षक, जेपी अस्पताल.