डिजिटल भुगतान प्रणाली से देश में नयी अर्थव्यवस्था और टैक्स चोरी को पूरी तरह से खत्म कर देने की घोषणा करने वाली मोदी सरकार ने अंतत: यह स्वीकार कर लिया कि इस मामले में धोखाधड़ी के मामले बढ़ते जा रहे हैं और केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए राज्य सरकारों से कहा है कि सभी राज्यों को इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए तत्काल कार्यवाही करनी चाहिये.
लेकिन इस मामले में राज्यों को ‘‘तत्काल’’ का निर्देश देने के बजाय स्वयं केन्द्र सरकार को ही यह तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए कि डिजीटल भुगतान की नीति व प्रणाली को उस समय तक रोक दिया जाए जब तक कि इस मामले में सरकार साइबर क्राइम को स्वयं समझ नहीं लेती और उस पर ‘‘तत्काल’’ कार्यवाही करने में सक्षम न हो जाए.
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं उनके केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली डिजिटल और कैशलेस भुगतान को जनता के समक्ष इस तरह प्रचारित व प्रसारित कर रहे हैं जैसे इससे देश में टैक्स चोरी शून्य हो जायेगी.
यह होता तो नजर नहीं आ रहा है लेकिन यह जरूर सामने आ गया है कि आम आदमी इसमें बढ़ती जा रही धोखाधड़ी से स्वयं घर बैठे-बैठे ‘‘कैशलेस’’ हो जाता है. एकाएक उसे मोबाइल पर मैसेज आ जाता है कि उसके खाते से रुपया किसी ओर ने उसके शहर से कहीं दूर के शहर में निकाल लिया. भारतीय अर्थव्यवस्था ‘‘कैशलेस’’ कब और कैसे बनेगी उससे पहले ही आम जनता धोखाधड़ी में कैशलेस हो जायेगी.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने लोगों को सावधान किया है कि यदि वे रुपयों का लेनदेन फोन से करते हैं तो सम्हल जाएं. डेबिट, क्रेडिट कार्ड, ई वैलेट के सहारे मोबाइल ट्रांजेक्शनों में धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों में केंद्र की मोदी सरकार ही चिंतित हो गयी है और सरकार से ज्यादा आम आदमी चिंतित और परेशान है कि वह न जाने कब और कैसे उसके बैंक खाते में लखपति से कंगाल हो जायेगा और बैंक उसकी कोई मदद या मार्गदर्शन नहीं कर पायेंगे. बैंक केवल यह परामर्श भर देते हैं कि लोग सावधान रहें.
जो समस्या का कोई निदान नहीं है केवल जिम्मेदारी न लेना है. मोदी सरकार बिना पूरी तैयारी के केवल घोषणाओं के नाम पर कुछ भी लोगों पर लाद रही है जिसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. जी.एस.टी. से देश में एक बाजार, एक व्यापार व एक भाव की घोषणा कर दी और साथ में यह भी करना पड़ा कि जी.एस.टी. पेट्रोल-डीजल पर लागू नहीं होगा जिससे सरकार की मूल नीति एक बाजार-एक व्यापार-एक भाव हो ही नहीं सकता.
उद्योग जगत में किसी भी उत्पादन में आधा भाग उसके लिए कच्चा माल और बना माल की ढुलाई खर्च होता है जिसमें सबसे बड़ी भूमिका ट्रांसपोर्ट भाड़े की होती है. ढुलाई-लदायी का खर्चा भी एक बड़ा फेक्टर होता है.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय के खुफिया ब्यूरो (इन्टेलीजेन्स) ने राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए नोडल एजेन्सी को नामजद किया है. इस मामले में धोखाधड़ी करने वाले नित नये तरीके इस्तेमाल कर रहे हैं.