भारत की नक्सल समस्या श्रीलंका की लिट्टे समस्या की तरह थोड़ी बहुत भिन्नता के साथ एक जैसी है. लिट्टे समस्या का समाधान हो चुका है और वहां उनका न तो नामोनिशान है और वहां की तमिल आबादी भी पूरी तरह शांतिप्रिय नागरिक की तरह सुख से रह रही है. लिट्टे के कारण ना सिर्फ श्रीलंका सरकार और उस देश की प्रभुता को चुनौती थी बल्कि वहां की तमिल आबादी लिट्टे के गुलामों की तरह रहती थी.
लिट्टे के सर्वेसर्वा प्रभाकरण ने एकमात्र तमिल नेता बनने के लिये उसने सबसे पहले अन्य सभी तमिल संगठनों के तमिल नेताओं को मार डाला.और एक छत्र नेता बन गया. वह उत्तरी-पूर्वी श्रीलंका में पृथक राष्ट्र तमिल ईलम चाहता था.
लिट्टे ने कई पानी के जहाजों पर कब्जा कर हथिया लिया. एक लाइट प्लेन असेम्बल करके उससे राजधानी कोलम्बो पर एक बार बमबारी भी कर दी. उसे अंतराष्ट्रीय आम्र्स स्मगलरों से आधुनिक हथियार प्राप्त होते थे. भारत की नौसेना ने ऐसा एक जहाज अंडमान सागर में पकड़ा था जिसे लिट्टे ने ही खुद ही आत्मघाती तरीके से ब्लास्ट कर डुबा दिया था.
एक समय भारत के प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने सौहाद्र्र स्वरूप श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री जयवर्धन से वार्ता कर एक उत्तरी-पूर्वी श्रीलंका में भारत के राज्यों की तरह राज्य सरकार बनवा दी. जिसकी विधानसभा व मुख्यमंत्री भी बना दिया गया. लेकिन लिट्टे ने इस सरकार को चलने नहीं दिया. उन पर जानलेवा हमले किये और मुख्यमंत्री वीरमल भाग कर भारत आ गये और उन्हें मध्यप्रदेश के चंदेरी में शरण देकर रखा गया.
अभी भारत में नक्सली इतने शक्तिशाली तो नहीं हुए हैं लेकिन उस तरफ तेजी से बढ़ जरूर रहे हैं. अब तक वे तीन कलेक्टरों आंध्र, आदिलाबाद, ओड़ीसा के मलकानगिरी और छत्तीसगढ़ के सुकमा का अपहरण कर चुके हैं. कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला कर वी.सी. शुक्ला जैसे कई कद्दावर नेताओं को मार डाला. अब तक सैकड़ों सी.आर.पी.-बी.एस.एफ. व सश पुलिस नक्सली हमले में मारे जा चुके हैं.
श्रीलंका में लिट्टे का आतंक और उत्तर में समानांतर सरकार 25 साल तक चली. इस बीच कई हमले व वार्तायें भी हुईं. युद्ध विराम भी हुए पर अंत में श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महेंद्रा राजपक्षे ने यही निर्णय लिया कि अब लिट्टे समस्या का एक ही समाधान है कि उनके विरुद्ध फौजी कार्यवाही करके इनका हमेशा के लिये खात्मा कर दिया जाए और श्री राजपक्षे ने कुछ दिनों की सतत् सैनिक अभियान में लिट्टे व उसके नेता प्रभाकरण का सफाया कर दिया.
उस क्षेत्र में की तमिल आबादी प्रभाकरण के आतंक में रहती थी. यही हाल नक्सली क्षेत्रों में है. यहां भी स्थानीय आबादी नक्सलियों के आतंक में जीती हैं. पेरामिलिट्री पर चुनौतीपूर्ण हमले आये दिन हो रहे हैं. इससे देश में केंद्र व राज्य सरकारें हताश नजर आ रही है जिसका देश पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है.
नक्सली सरकार पर भारी दिखाई पड़ते हैं. उनके क्षेत्र में उनका ही समानान्तर शासन चल रहा है. करोड़ों रुपयों की वसूली वे यहां काम करने वाले सभी संस्थानों से ले रहे हैं. रुइया ग्रुप का इस्सार माइनिंग उद्योग वहां नक्सलियों को 16 लाख रुपये सालाना देता था व वह काम करवाता था. सरकार की वजह से वह रुक गया लेकिन नक्सलियों ने लोह अयस्क से लदे कई ट्रकों को आग के हवाले कर दिया और सरकार उसे संरक्षण नहीं दे पायी.
नक्सल समस्या का समाधान एक ही है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री राजपक्षे की तरह नक्सलियों पर निर्णायक सेना पर हमला कर उसका पूरा रेड कोरीडोर नक्सलियों से खत्म करके ही दम लिया जाए.