कुछ दशकों पहले तक मरीजों के इलाज में इतनी जांचें नहीं होती थीं लेकिन अब हर रोग से साथ यह जुड़ गयी हैं. हर डाक्टर इन्हें लिखता ही है इसी दौर में फर्जी डाक्टर भी होते थे. लेकिन अब जांचों का दौर आ गया है तो फर्जी डाक्टरों के साथ फर्जी जांचों का दौर भी चल पड़ा और जगह-जगह सैकड़ों की तादाद में पेथोलाजी के सेंटर खुल गये हैं. ये भी फर्जी डाक्टरों की तरह फर्जी पेथोलॉजिस्ट हैं.
किसी भी मरीज को कुछ तो भी बीमारी बता देते हैं और उस आधार पर उसका उस बीमारी का इलाज भी हो जाता है- जो उसे थी ही नहीं. डाक्टरों की कमी खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी डाक्टर और फर्जी पेथोलॉजिस्ट लोगों को बीमारी न होते हुए भी बीमार बचाकर उनका स्वास्थ बिगाड़ रहे हैं और रुपया लूट रहे हैं.
हाल ही इंडियन ऐसोसियेशन आफ पैथोलॉजिस्ट व निजी पैथोलॉजिस्ट का संयुक्त प्रतिनिधि मंडल राज्य के स्वास्थ्य संचालक से मिला और ज्ञापन दिया है.
उनकी मांग है कि राज्य शासन व सुप्रीम कोर्ट ने पैथोलाजिकल जांचों के बारे में कुछ नियम व निर्देश तय किए हैं. उनके आधार पर सभी पैथोलॉजी सेन्टर की जांच कर फर्जी लोगों को न सिर्फ हटाया जाए बल्कि इन्हें दंडित किया जाए. इन फर्जी डाक्टरों व फर्जी जांचों ने लोगों पर मुसीबत खड़ी कर दी है.
सिर्फ कमाई के लिए बीमारी बताकर गलत इलाज किया जा रहा है. जन स्वास्थ्य पर गहरा संकट आया हुआ है.