न्यूयार्क, मानवाधिकारों से संबद्ध अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या शरणार्थियों के साथ जिस तरह का बर्ताव हुआ है उसे मानवता के खिलाफ अपराध मानकर शीर्ष सैन्य अधिकारियों तथा कमांडरों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
एमनेस्टी ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद से इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ले जाने का भी आग्रह किया है और म्यांमार के खिलाफ हथियारों की खरीद पर रोक लगाने तथा वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के खिलाफ वित्तीय प्रतिबंध लगाने की बात कही है।
एमनेस्टी ने राेहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति के बारे में पिछले वर्ष सितंबर में अपनी जांच शुरू की थी अौर इस रिपोर्ट में कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि सेना ने उत्तरी राखिने प्रांत में रोहिंग्या आबादी का सजा देने की पूर्व योजना बनाई थी ताकि उन्हें देश से बाहर धकेला जा सके। इसी दौरान इन लोगों के साथ विभिन्न प्रकार के अत्याचार किए गए थे।
रिपोर्ट में शीर्ष जनरल मिन आंग हलेंग, म्यांमार रक्षा सेवाओं के कमांडर आैर उनके मातहत सैन्य कमांडर,उप सैन्य जनरल सोई विन तथा विभिन्न इकाइयों के कमांडर शामिल हैं। इस रिपाेर्ट में आठ अन्य सैन्य सदस्यों और सीमा गार्ड पुलिस के तीन सदस्याें के नाम हैं।