भोपाल में हड़ताली बैंक कर्मियों ने इंकलाबी रैली निकालकर की सभा
- आज भी जारी रहेगी हड़ताल
भोपाल, यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आव्हान पर देशभर के दस लाख बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी सम्मानजनक वेतन समझौता की माँग को लेकर 30 एवं 31 मई की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल की श्रृंखला में 30 मई को हड़ताल पर रहे. हड़ताल के कारण समस्त सार्वजनिक, पुराने निजी क्षेत्र एवं विदेशी क्षेत्र के बैंकों में काम-काज ठप्प रहा.
भोपाल एवं आस-पास के करीब 5000 हड़ताली बैंक-कर्मी बुधवार प्रात: 10:30 बजे ओरियेन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स रीजनल आफिस प्रेस काम्पलेक्स एम.पी. नगर, के सामने इक_े हुए. उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में जोरदार नारेबाजी कर प्रभावी प्रदर्शन किया. तत्पश्चात एक विशाल रैली प्रारम्भ हुई.
रैली में बैंक कर्मी हाथों में प्ले कार्डस, लाल रंग के झण्डे लिए हुए दो-दो की पंक्ति में जोशीले नारे लगाते हुए अनुशासित रूप से चल रहे थे. लाल झण्डों से रैली रंगीन नजर आ रही थी. रैली में युवा एवं करीब 1000 महिला बैंक कर्मियों की उपस्थिति उल्लेखनीय थी.
आज बैंकों में लटके हुए ताले केन्द्र सरकार को चेतावनी दे रहे थे कि यदि उन्होंने हड़ताली बैंक कर्मियों की माँगों को गंभीरता से नहीं लिया तो आगामी दिनों में कई दिनों तक इसी तरह ताले लटके नजर आएंगे.
रैली प्रेस काम्पलेक्स का चक्कर लगाते हुए वापिस ओरिएन्टल बैंक ऑफ कॉमर्स के सामने आकर सभा में परिवर्तित हो गई. सभा को फोरम के को-आर्डीनेटर साथी वी.के. शर्मा, मदन जैन, अरूण भगोलीवाल, डी.के. पोद्दार, दीपक रत्न शर्मा, संजीव सबलोक, संजय कुदेशिया, आशीष तिवारी, संतोष जैन, बी.एस. नेगी, सुनील सिंह, राकेश जैन के अलावा एम.जी. शिन्दे, जे.पी. झंवर, राजू जोधानी आदि ने सम्बोधित किया.
वक्ताओं ने बताया कि बैंक कर्मियों का वेतन समझौता हर पाँच वर्ष के अन्तराल से होता है. वर्तमान वेतन समझौता नवम्बर 2017 से लम्बित है. यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने अपना माँग-पत्र बैंक प्रबन्धन (भारतीय बैंक संघ) को यथासमय प्रेषित कर दिया था.
माँग-पत्र के ऊपर दोनों पक्षों के बीच मई 2017 से लेकर 05 मई 2018 तक वार्ताओं के 15 दौर हो चुके हैं. अन्तत: आखरी वार्ता के दौरान बैंक प्रबंधन में 2 प्रतिशत वेतन वृद्धि का मामूली सा प्रस्ताव बैंक यूनियनों के सामने रखा, जिसे यूनियनों ने अस्वीकार कर पर्याप्त एवं सम्मानजनक वेतन वृद्धि की माँग की.
गत वेतन समझौता के पश्चात से बैंक की शाखाओं में लगातार वृद्धि हो रही है, बैंक के व्यवसाय में भी जबरदस्त वृद्धि हुई है, लेकिन इस अनुपात में नई भर्ती नहीं हुई है, जिससे बैंक कर्मियों के ऊपर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है.
अन्य कई प्रकार के कार्य जो वास्तविक बैंकिंग से सम्बन्ध नहीं रखते हैं, वे कार्य भी बैंक कर्मियों से कराये जा रहे हैं. जन-धन खाते खोलना हो, अथवा नोट बन्दी की चुनौती हो, बैंक कर्मियों ने रात-दिन एक करके इन कार्यों का सफल क्रियान्वयन करके दिखाया था.
और तेज होगा आंदोलन
28 मई 2018 को नई दिल्ली में मुख्य श्रमायुक्त की उपस्थिति में यूनियन एवं बैंक प्रबन्धन के मध्य हुई वार्ता में कोई सकारात्मक हल नहीं निकल पाया और वार्ता असफल रही. अत: यूनाईटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स द्वारा 30 एवं 31 मई को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का निर्णय मजबूरी में उठाया गया सही कदम है. इन हड़तालों के बाद भी यदि माँगों का सम्मानजनक निराकरण नहीं हुआ तो भविष्य में आन्दोलन को और तेज किया जावेगा.