पन्ना : अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव के पुनीत धार्मिक आयोजन के अन्तर्गत सोमवार 18 अक्टूबर की शाम विविधता व भक्तिभाव से युक्त एैतिहासिक तेरस की महामति प्राणनाथ जी की दिव्य सवारी (शोभा यात्रा) पूरी भव्यता के साथ श्री खेजरा मंदिर से निकाली गई। प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी तेरस की सवारी में देश-के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालु सुन्दर साथ नाचते गाते शामिल हुए।
श्री प्राणनाथ जी मंदिर ट्रस्ट पन्ना द्वारा आयोजन के संबंध में बताया गया कि तेरस की सवारी महामति प्राणनाथ जी की सवारी नगर के अति प्राचीन खेजड़ा मंदिर से सोमवार की शाम 5ः30 बजे से शुरू हुई जो सवारी बीटीआई चौराहा, कोतवाली चौक, बल्देव मंदिर चौराहा से बड़ा बाजार होते हुए किशोर जी मंदिर, पंचम सिंह चौराहा व महेन्द्र भवन चौराहे से होकर देर रात श्री प्राणनाथ जी मंदिर पहुंची जहां इसका भव्य समापन हो गया। आध्यात्मिक महत्व की है तेरस की सवारी पन्ना नगर में महामति के समय से लगातार श्री जी की सवारी पन्ना में भव्य स्वरूप के साथ निकाली जाती है। मान्यता है कि इस सवारी का आयोजन पहली बार बुन्देलखण्ड केशरी महाराजा छत्रसाल जी ने किया था।
कहा जाता है कि जब बुन्देलखण्ड को चारों तरफ से औरंगजेब के सरदारों ने घेर लिया था तब महामति श्री प्राणनाथ जी ने महाराजा छत्रसाल को अपनी चमत्कारी दिव्य तलवार देकर विजयश्री का आर्शीवाद दिया था और कहा था कि हे राजन जब तक तुम अपने दुश्मनों को धूल चटाकर नहीं आ जाते तब तक में इसी खेजड़ा के वृक्ष के पास अपनी कुटी में ही रहूंगा। तेरस को जब महाराजा छत्रसाल अपने दुश्मनों पर फतह हासिल कर लौटे तो अपने सद्गुरू महामति प्राणनाथ जी को पालकी में बिठाकर अपने कंघों का सहारा देकर ब्रम्ह चबूतरा जहां पर वर्तमान में श्री प्राणनाथ जी मंदिर है तभी से हर वर्ष परम्परानुसार महाराजा छत्रसाल द्वारा निकाली गई सवारी के प्रतीक स्वरूप दशहरे के बाद तेरस के दिन यह सवारी भव्य स्वरूप में निकाली जाती है।