तालाबों से गाँवों के विकास की राह खोलने की जद्दोजहद

पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान में 40 हजार तालाबों का कायाकल्प

मध्यप्रदेश में गाँवों के परम्परागत विकास पर ज़ोर

ग्रामीणों को तीन हजार करोड़ का फ़ायदा देंगे तालाब

आदिवासी बहुल जिलों से हुई शुरुआत

पुष्पेंद्र वैद्य

इंदौर:  कुछ सालों पहले तक लगभग हर गाँव के पास बरसाती पानी को थामने के लिए तालाबों का ख़ज़ाना हुआ करता था लेकिन बीते कुछ सालों में पीढ़ियों पुराने इन तालाबों की उपेक्षा से पानी की कमी के संकट का सामना करना पड़ रहा है. अब मध्यप्रदेश सरकार ने नष्ट हो रही इस बेशकीमती संपदा को बचाने के लिए कमर कस ली है.

पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के तहत प्रदेश के आदिवासी बहुल उमरिया, शहडोल, बैतूल, बड़वानी और बालाघाट जिलों से पुराने और लगभग अनुपयोगी हो चुके तालाबों के कायाकल्प की शुरुआत हो चुकी है. पूर्व में कई योजनाओं के तहत हजारों करोड़ रुपयों से जलसंरचनाएं तैयार की गई थीं लेकिन रखरखाव के अभाव में कई सरंचनाएं उपयोग में नहीं आ रही थीं। अब राज्य सरकार इन्हें पुनर्जीवित करेंगी. इसे आगे बढ़ाने हेतु पूरे प्रदेश में 40 हज़ार से ज़्यादा तालाबों की सूची बनाई गई है. यह आंकड़ा और बढ़ने का अनुमान है. प्रत्येक तालाब पर क़रीब पचास हजार से दो लाख रूपए तक खर्च होंगे लेकिन इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को खासा लाभ होगा. इससे गाँवों में तीन हज़ार करोड़ रूपए का फ़ायदा हो सकेगा. इससे जल स्तर बढ़ने के साथ खेती के अलावा मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन भी संभव हो सकेगा.

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार कर तालाबों को उपयोग के आधार पर तीन श्रेणी में बाँटा है. इनमें सबसे अधिक तालाब सिंचाई प्रयोजनों को पूरा करेंगे. विभाग के मुताबिक इससे क़रीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई हो सकेगी. इन्हें स्थानीय पंचायत संचालित करेगी. विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव इस मॉडल से खासे उत्साहित हैं. गौरतलब है कि इससे पहले श्री उमराव ने देवास कलेक्टर के रूप में वहाँ के जल संकट से उबारने के लिए रेवा सागर अभियान से देश-दुनिया का ध्यान खींचा था. अभियान में किसान अपने ख़ुद के खर्च पर अब तक क़रीब 20 हज़ार खेत तालाब बन चुके हैं. इस सफल मॉडल में किसानों द्वारा 6 हज़ार करोड़ खर्च कर तीन लाख हैक्टेयर में सिंचाई संभव हो सकी. उनका देवास का अनुभव अब पूरे प्रदेश के लिए नजीर बनेगा.

जल संरचनाओं के लिए यह प्रयास

“पूर्व में कई हज़ार करोड़ रुपयों से अच्छी लोकेशन्स पर बेहतर जलसंरचनाएं बनाई गई थीं। इनमें से बहुतायात में जलसरंचनाएं यथोचित रखरखाव नहीं होने और जनभागिदारी नहीं होने से अनुपयोगी हो गई हैं। पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के तहत इन जल संरचनाओं के पुनर्जीवन, प्रबंधन एंव इससे होने वाले संभावित लाभों से समुदाय को जोड़कर इन हज़ारों करोड़ों रुपए की जलसरंचनाओं को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है। ”

उमाकांत उमराव

प्रमुख सचिव- ग्रामीण विकास विभाग, मध्यप्रदेश शासन

नव भारत न्यूज

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