जल्द से जल्द भुगतान कराने की चल रही कवायदें मामला ननि वार्ड क्र.42 सामुदायिक भवन बिलौंजी का
सिंगरौली : सामुदायिक भवन बिलौंजी के साउंड पू्रफिंग व कम्युनिटी हाल सहित अन्य कार्यों की बैंक गारंटी या एफडीआर ननि के एकाउंट शाखा में है की नहीं इस बात को लेकर अब तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं। साथ ही लंबित भुगतान के लिए कथित अधिकारी ठेकेदार के प्रति मेहरबानी दिखाते हुए सक्रिय हो गये हैं। हालांकि इस मामले में नगर निगम के अधिकारी मीडिया के सवालों से बचते नजर आ रहे हैं।गौरतलब हो कि नगर पालिक निगम सिंगरौली के वार्ड क्र.42 स्थित अटल सामुदायिक भवन में तकरीबन 34 लाख रूपये एकाउस्टिक्स, साउंड प्रूफिंग व कम्युनिटी हाल सहित अन्य कार्यों के लिए मंजूरी मिली थी।
हैरानी की बात है कि इस कार्य के लिए टेण्डर बुलाया गया था। जहां इकलौते संविदाकार ने ही टेण्डर डाला था और ठेकेदार को उक्त कार्य मिल भी गया था। ननि के उपयंत्री पीके सिंह ने ठेकेदार पर हर तरह से दरियादिली दिखाते हुए 34 लाख के जगह पर 39 लाख रूपये के बिल भुगतान के लिए नोटशीट आगे बढ़ा दिया। इस दौरान उपयंत्री ने सहायक यंत्री एवं कार्यपालन यंत्री से उक्त कार्यों की जांच व भौतिक सत्यापन नहीं कराया। सीधे नोटशीट अधीक्षण यंत्री के यहां भेज दिया था। मामला जब तूल पकड़ा तो एकाउंट शाखा से आपत्ति आ गयी। एकाउंट शाखा ने आपत्ति करते हुए कहा कि नियमानुसार परफार्मेंस गारंटी राशि कहा है उसकी मूल प्रति शामिल हो।
प्रोसीजर व प्रक्रिया के तहत फाइल चलनी चाहिए। इसके बाद नगर निगम में हड़कम्प मच गया है। अब खबरे आ रही हैं कि उक्त निर्माण कार्य की परफार्मेंस गारंटी राशि या बीजीआर की मूल कापी नहीं है। केवल नोटशीट में बीजी नम्बर उल्लेख कर दिया गया। आखिरकार संविदाकार पर इतनी बड़ी दरियादिली किसने दिखाया। वहीं यह भी चर्चा है कि ननि के कुछेक अधिकारी बड़े ठेकेदारों पर ज्यादा मेहरबानी दिखा रहे हैं। यदि इनके क्रियाकलाप व निर्माण कार्यों की विधिवत निष्पक्ष जांच करा दी जाय तो कई रहस्यों का खुलासा हो सकता है।
हालांकि अब नगर निगम में अटल सामुदायिक भवन बिलौंजी के निर्माण कार्य में बीजी व एफडीआर की मूल कापी न होने का मामला गरमाने लगा है। इधर यह भी चर्चा है कि उक्त निर्माण कार्यों का भुगतान कितना जल्दी हो जाये इसके लिए कुछ कथित ननि के अधिकारी सक्रिय नजर आने लगे हैं। इसके पीछे कारण क्या है धीरे-धीरे वह भी जगजाहीर होने लगा है। किन्तु ननि के जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी कई सवालों को भी जन्म दे रहा है। मामला कलेक्टर व ननि प्रशासक के संज्ञान में भी पहुंच चुका है। अब देखना है कि उक्त मामले में कलेक्टर व आयुक्त के द्वारा क्या कदम उठाया जाता है। इसी पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।