गैरभाजपायी मतों का विभाजन रोकने का प्रयास है माकपा का – येचुरी

भोपाल, 17 जनवरी (वार्ता) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने आज कहा कि देश और संविधान बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता से हटाना आवश्यक है और इसके लिए उनकी पार्टी का पूरा प्रयास है कि गैरभाजपायी मतों का देश के विभिन्न राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में बटवारा नहीं हो।
माकपा के मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय सम्मेलन में शामिल होने आए श्री येचुरी ने यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर उनकी पार्टी का पूरा प्रयास है कि गैरभाजपायी मतों का विभाजन नहीं हो। उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश में भाजपा को पराजित करने का दम उन्हें समाजवादी पार्टी (सपा) में दिख रहा है और उनकी पार्टी वहां पर सपा को सहयोग करेगी। इसके साथ ही प्रयास होगा कि गैरभाजपायी विचारधारा वाले अन्य दल भी एकसाथ आएं।
श्री येचुरी ने कहा कि देश और संविधान बचाने के लिए केंद्र और राज्यों की सत्ता से भाजपा को हटाना आवश्यक है। यदि आने वाले समय में भी भाजपा जीतती है तो हमारा देश और संविधान और खतरे में आ जाएगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि देश में भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर चुनाव लड़ रही है। हालाकि उन्होंने यह भी कहा कि अब देश के लोग खासतौर से उत्तरप्रदेश के निवासी भी असलियत समझ चुके हैं। जनता अब भावनात्मक मुद्दों की बजाए ‘रोजी रोटी’ के सवाल पर ध्यान देने लगी है।
माकपा नेता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारी पार्टी ने सदैव संविधान विरोधी कार्य करने वाली सरकारों या दलों का विरोध किया है। वर्तमान में भाजपा का विरोध कर रहे हैं और एक समय जब कांग्रेस की सरकार ने संविधान विरोधी कार्य किए थे, तब हमने उसका भी विरोध किया था। उनका आरोप है कि भाजपा के नेतृत्व में केंद्र की सरकार बड़े उद्योगपतियों को प्रश्रय देकर आम लोगों के हितों के विपरीत नीतियों पर कार्य कर रही है।
इसके पहले कल यहां माकपा का तीन दिवसीय 16वां राज्य स्तरीय सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन के उद्घाटन में श्री येचुरी ने कहा कि अमरीका की अगुवायी में साम्राज्यवादी देश विश्व पर अपना नियंत्रण पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देेश की मोदी सरकार भी दुनिया में ‘अमरीकी कठपुतली’ के रूप में जानी जाने लगी है। सम्मेलन में माकपा के अन्य नेता भी शिरकत कर रहे हैं। इस दौरान महंगायी, बेरोजगारी और जनहित के अन्य मुद्दे उठाए गए।

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