नयी दिल्ली 24 जनवरी (वार्ता) आम बजट की तैयारियों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आवास ऋण के ब्याज भुगतान पर मिल रही कर रियायतों की सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की अपील की गयी है जिससे अधिक से अधिक घर खरीददार इसका लाभ उठा सके।
लीफ फिनेटक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी मिलिंद गोवर्धन ने यह अपील करते हुये कहा है किवेतनभोगी व्यक्तियों के लिए कर में बदलाव हमेशा ही बजट का आकर्षण-बिंदु रहा है।वेतनभोगी वर्ग के लिए खर्च करने योग्य धन का अभाव गृह ऋण लेने और रियल एस्टेट खरीदने में एक बाधा रहा है।
चूँकि रियल एस्टेट की इनपुट लागतें बढ़ गई हैं, समाज के बजट वर्ग के लिए वित्तीय संगठनों से गृह ऋण लेने के अलाबा कोई विकल्प नहीं है।स्पष्ट रूप से, गृह ऋण चुकता करने में 11 वर्षों से लेकर 30 वर्षों तक का समय लगता है।
उन्होंने कहा कि कर संबंधी फायदों के मामले में गृह ऋण की चुकौती में मूल धन की राशि धारा 80सी के अंतर्गत कटौती के योग्य होती है, हालाँकि इसकी अधिकतम सीमा 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष है।
चूँकि उसी धारा (80सी) के तहत ही भविष्य निधि (पीएफ), सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), और जीवन बीमा पॉलिसियों जैसी विविध प्रकार की संपत्तियों के लिए भी प्रावधान है, खरीदार के लिए इस धारा से लाभ प्राप्त करना कठिन हो जाता है।
चूँकि आयकर अधिनियम की धारा 20(बी) के अंतर्गत गृह ऋण की ब्याज राशि पर प्रति वर्ष 2 लाख रुपये की सीमा है और इसलिए भी कि गृह ऋण की रकम काफी बड़ी होती है, खरीदार इसका लाभ उठाने में असमर्थ होते हैं।
सरकार ने घर खरीदने वालों को अतिरिक्त कर लाभ पहुँचाने के लिए आयकर अधिनियम में कुछ उप-धाराएँ (80ईई और 80ईईए) जोड़ी हैं, लेकिन ॠण के आकार के कारण खरीदार इन उप-धाराओं का पूरा लाभ नहीं उठा पाते।
उन्होंने अपील की कि कर में रियायत को 2 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ा कर लगभग 5 लाख रुपये प्रति वर्ष किया जा सकता है ताकि भावी खरीदारों को प्रत्यक्ष और युक्तिसंगत लाभ प्राप्त हो सके।
इससे वेतनभोगी वर्ग से और ज्यादा लोगों को घर खरीदने का सपना पूरा करने में मदद मिलेगी।
इससे अनौपचारिक आय वर्ग के लोग भी घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
श्री गोवर्धन ने कहा कि हाउसिंग सेक्टर को विभिन्न उप-वर्गों में विभाजित कर दिया गया है और अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के दायरे में, जिसकी शुरुआत एक आला दर्जे के वर्गीकरण के रूप में हुई थी, अब इस क्षेत्र का एक विशाल हिस्सा शामिल है।
रियल एस्टेट बाज़ार पटरी पर वापस आ गया है और वैश्विक महामारी के बाद की परिस्थिति में उल्लेखनीय मजबूती का प्रदर्शन किया है।
अब इस गति को कायम रखने के उद्देश्य से रियल एस्टेट उद्योग को वार्षिक बजट में बेहद जरूरी बदलावों तथा प्रोत्साहन की अपेक्षा है, विशेषकर इसलिए कि यह उद्योग आर्थिक विकास का प्रमुख वाहक है।
उन्होंने कहा कि डेवलपरों ने घर के मूल्य की सीमा को गैर-मेट्रो क्षेत्रों में 45 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये और मेट्रो शहरों में 1.50 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव दिया है ताकि ज्यादा अफोर्डेबल हाउसिंग मुहैया की जा सके।
विकल्प के रूप में वे इस प्रकट के फ्लैटों का आकार 60 वर्गमीटर से बढ़ाकर मेट्रो शहरों में 90 वर्गमीटर और गैर-मेट्रो क्षेत्रों में 120 वर्गमीटर करने की वकालत कर रहे हैं।