जिले के 9 सरकारी कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे, प्राध्यापकों का भी टोटा
शाजापुर: जिले के 9 सरकारी कॉलेज लंबे समय से प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं. इतना ही नहीं यहां प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापकों का भी टोटा है, जिसके कारण पढ़ाई का जिम्मा अधिकांशत: अतिथि विद्वानों के कंधों पर है. आगामी दिनों में विश्वविद्यालयीन परीक्षाएं होना है, लेकिन प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापकों की कमी के कारण हजारों विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. जिसका सीधा असर परिणामों पर पड़ेगा
पं. बालकृष्ण शर्मा नवीन शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शाजापुर जिले का अग्रणी महाविद्यालय है, जिसके अंतर्गत शासकीय कन्या महाविद्यालय शाजापुर, शासकीय विधि महाविद्यालय शाजापुर, शासकीय महाविद्यालय मो. बड़ोदिया, शासकीय महाविद्यालय गुलाना, शासकीय महाविद्यालय मक्सी, शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय शुजालपुर, शासकीय महाविद्यालय कालापीपल, शासकीय महाविद्यालय पोलायकलां आते हैं. ये सभी कॉलेज वर्तमान में प्रभारी प्राचार्य के भरोसे संचालित हो रहे हैं. यहां शासन ने अब तक स्थाई प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की, जिसके चलते कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से लेकर प्राध्यापक-सहायक प्राध्यापक तक सभी मनमाने ढंग से काम कर रहे हैं. जिले के कन्या महाविद्यालय की बात करें, तो यहां प्राध्यापक, सह प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक के 6 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र के 2 पदों पर ही स्थाई प्राध्यापक कार्यरत हैं. शेष रिक्त 4 में से 2 पदों (हिंदी और गृह विज्ञान) पर अतिथि विद्वान कार्यरत हैं.
जबकि अंग्रेजी और समाज शास्त्र के पद पूरी तरह से रिक्त पड़े हुए हैं. इस कारण छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
समाज शास्त्र का पद पोर्टल पर रिक्त नहींशासकीय कन्या महाविद्यालय में सत्र 2021-22 के लिए शासन स्तर पर 5 अतिथि विद्वानों की व्यवस्था की गई थी. लेकिन अर्थशास्त्र के स्थायी प्राध्यापक डॉ. पी. मंूदड़ा के आने से एक अतिथि विद्वान फॉलन आउट हो गए. इसके बाद शासन द्वारा अतिथि विद्वानों को रिलोकेशन का ऑप्शन दिया गया.
जिसके तहत समाज शास्त्र विषय की अतिथि विद्वान ने स्थल परिवर्तन करा लिया और अन्य महाविद्यालय में चली गई. इस कारण ये पद महाविद्यालय में तो रिक्त हो गया, लेकिन शासन द्वारा इस पद पर राजगढ़ के सहायक प्राध्यापक की वेतन व्यवस्था किए जाने से पोर्टल पर यह पद भरा हुआ ही बता रहा है. इस कारण अन्य जगह के अतिथि विद्वान पोर्टल पर इस महाविद्यालय का चयन नहीं कर पा रहे हैं. यही वजह है कि गत करीब दो माह से समाज शास्त्र का पद रिक्त पड़ा हुआ है. ऐसे में छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है. इस पद को रिक्त करने के लिए महाविद्यालय द्वारा अतिरिक्त संचालक से लेकर आयुक्त तक को कई बार पत्र लिख दिए, लेकिन नतीजा सिफर ही है. वहीं गत माह में अंग्रेजी के अतिथि विद्वान ने भी रिलोकेशन के चलते गुलाना महाविद्यालय में स्थल परिवर्तन करवा लिया. जिसके बाद से महाविद्यालय में अंग्रेजी के अतिथि विद्वान का पद भी खाली पड़ा है.
विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा प्रायोगिक ज्ञान
सरकारी कॉलेजों में विद्यार्थियों को थ्योरी के अलावा प्रैक्टीकल अनुभव मिले, इसके लिए लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर आधुनिक लैब तैयार की गई, लेकिन हकीकत यह है कि ये प्रयोगशाला तकनीशियन और प्रयोगशाला परिचारक के अभाव में किसी काम की नहीं है. भौतिक, रसायन, कम्प्यूटर, बॉटनी, जूलॉजी लैब के लिए कई पद वर्तमान में रिक्त हैं, जिसके कारण लैब होते हुए भी विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान नहीं मिल पा रहा है.
कार्यालयीन स्टाफ की भी यही स्थिति
जिले के सरकारी कॉलेजों में शैक्षणिक पद तो रिक्त हैं ही, इनके अलावा कार्यालयीन स्टाफ का भी टोटा बना हुआ है. कहीं मुख्य लिपिक का पद रिक्त है, तो कहीं लेखापाल का. कहीं सहायक वर्ग-2 का पद खाली पड़ा है, तो कहीं भृत्य या अन्य चतुर्थ श्रेणी का. नए महाविद्यालयों में कुछ पद आउटसोर्स के हैं, जिन पर नियुक्ति करने के अधिकार प्राचार्य को दिए गए हैं, लेकिन अभी तक इन पदों पर नियुक्ति की कोई प्रक्रिया नहीं की गई है, जिसके चलते कार्यालयीन कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं.