महादजी सिंधिया ने ढाई सौ वर्ष पहले लालकिले पर फहराया था भगवा

नयी दिल्ली 12 फरवरी (वार्ता) दिल्ली में मराठा हिन्दवी स्वराज की स्थापना और लालकिले पर भगवा ध्वज फहराये जाने की 251वीं वर्षगांठ का शुक्रवार को यहां आयोजन किया गया और याद किया गया कि अट्ठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में मराठाओं ने भारत में जैसा शासन स्थापित किया था, वही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को मौजूदा सरकार पूरा करने में जुटी है।
मुंबई की रामभाऊ म्हालिगी प्रबोधिनी के तत्त्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शामिल हुए जिनके पूर्वज महादजी सिंधिया ने 1771 में लालकिले में भगवा ध्वज फहराकर मराठा हिन्दवी स्वराज का श्रीगणेश किया था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा सांसद एवं अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे ने की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री सिंधिया ने कहा कि अटक से कटक तक हिन्दवी स्वराज की स्थापना करने वाले मराठा योद्धा एवं उनके पूर्वज महादजी सिंधिया ने 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अपने 16 भाइयों का बलिदान दिया और खुद भी बुरी तरह घायल हो गये थे। एक भिश्ती ने उनकी जान बचायी थी और एक टांग गंवाने के बावजूद अप्रतिम साहस से लबरेज महादजी सिंधिया ने फिर से अपनी सेना सुगठित की थी और फ्रांस एवं पुर्तगाल के सैन्य विशेषज्ञों से प्रशिक्षण के बाद दिल्ली पर आक्रमण करके सरदार कासिम अली को दंडित किया था और 10 फरवरी 1771 को भगवा फहराया था।
श्री सिंधिया ने कहा कि महादजी सिंधिया ने ही भगवा झंडे तले पहली बार जाटों, गूजरों, दलितों, सिखों, राजपूतों एवं मुसलमानों को एकजुट करके एक शक्तिशाली फौज बनायी और हिन्दवी स्वराज की स्थापना की थी। महादजी सिंधिया ने जातिवाद का सदा विरोध किया और दलितों के अधिकार की रक्षा की। उन्होंने कहा कि महादजी सिंधिया के शासन में सुरक्षा एवं विकास पर ध्यान दिया गया था। दिल्ली में मराठा शासन काल में यमुना के पानी को लेकर शहर के नागरिकों को पेयजल मुहैया कराया गया था। चांदनी चौक का कायाकल्प किया गया था। लालकिले की मरम्मत करायी गयी थी और किले में नयी छावनी बनायी गयी थी।
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस एक भारत श्रेष्ठ भारत की कल्पना को साकार करने में जुटे हैं, वही सोच मराठाओं के शासनकाल में थी। महादजी सिंधिया के शासन में आगरा के समीप बंदूकों एवं तोपखाने के कारखाने स्थापित किये गये थे। आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को मराठा हिन्दवी स्वराज में भी साकार करने के लिए काम किया गया था। आज डिफेंस कॉरीडोर, सैन्य आधुनिकीकरण, शस्त्रों का विनिर्माण आदि उसी के उदाहरण हैं।
श्री सिंधिया ने कहा कि महादजी सिंधिया ने अहमद शाह अब्दाली जैसे विदेशी आक्रांताओं और अंग्रेजों से लोहा लिया। 1782 में उन्होंने लाहौर से सोमनाथ मंदिर के चांदी के उन दरवाजों को वापस अपने कब्ज़े में लिया जो महमूद गजनवी 1030 ईसवी में सोमनाथ से लूट कर ले गया था। बाद में उन दरवाजों को जब सोमनाथ मंदिर को लौटाया गया तो सोमनाथ मंदिर के प्रबंधकों ने लेने से इंकार कर दिया था। तत्पश्चात उन चांदी के दरवाजों को उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लगाया गया। इतना ही नहीं, उन्होंने मथुरा, वृंदावन, ब्रज क्षेत्र एवं पुष्कर में मंदिर एवं गोशालाएं बनवायीं तथा अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के विस्तार एवं नयी सुविधाओं के लिए योगदान दिया था। उन्होंने महाराष्ट्र में सावित्री नदी के किनारे स्थित कनेरखेड़ गांव में अपनी पैतृक भूमि के लोगों को तीर्थयात्रा के प्रबंध भी किये थे।
डॉ. सहस्रबुद्धे ने कहा कि शिक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के नाते उन्होंने मराठाओं के इतिहास को पाठ्यपुस्तकों में उचित स्थान देने की सिफारिश की है। एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में आवश्यक सुधार करेगी।

नव भारत न्यूज

Next Post

वैष्णव ने रानी कमलापति-रीवा ट्रेन सेवा का शुभारंभ किया

Sat Feb 12 , 2022
भोपाल, 12 फरवरी (वार्ता) रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से चलकर रीवा तक जाने वाली ट्रेन के साथ ही जबलपुर-नैनपुर ट्रेन की बहाली सेवा का शुभारंभ किया। पश्चिम मध्य रेल सूत्रों के अनुसार श्री वैष्णव ने ट्रेन संख्या 02195 रानी कमलापति-रीवा, ट्रेन संख्या 02196 […]

You May Like