लोकतंत्र में निर्वाचित सरकारें आमतौर पर जन कल्याणकारी फैसले ही लेती हैं. प्राय: जब भी केंद्र या किसी प्रदेश के मंत्रिमंडल की बैठक होती है तो उसमें जनता के हित में फैसले लिए जाते हैं. मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने भी 26 और 27 मार्च को पचमढ़ी मंथन के नाम से लगातार दो दिन बैठकें आयोजित की. इन बैठकों में मंत्रालयों की विस्तृत समीक्षा की गई और योजनाओं के बारे में प्रेजेंटेशन दिए गए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी मंत्रियों से कहा है कि योजनाओं के क्रियान्वयन पर पूरा फोकस रखें जिससे प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे. दरअसल, मुख्यमंत्री ने ऐसा कहकर शासन और प्रशासन की कमजोर नस पर हाथ रखा है. स्वाधीनता के बाद से ही यह देखने में आया है कि नौकरशाही और लालफीताशाही के कारण योजनाओं का लाभ वास्तविक लोगों तक पहुंच नहीं पाता है. इस संबंध में स्वर्गीय राजीव गांधी का वह कथन हमेशा याद आता है जिसमें उन्होंने कहा था कि मैं एक रुपया भेजता हूं लेकिन जनता तक 15 पैसे ही पहुंच पाते हैं. लाख कोशिशों के बावजूद इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में मामूली ही सुधार आया है. सरकारों और नौकरशाहों की सबसे बड़ी चिंता यही होनी चाहिए कि योजनाओं का लाभ नीचे तक पहुंचे. इस संबंध में हमेशा झाबुआ जिले का उदाहरण दिया जाता है. आजादी के बाद से लेकर अब तक आदिवासी बहुल झाबुआ के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने हजारों करोड़ रुपए जनता के उत्थान के दृष्टि से भेजें लेकिन इसका कितना लाभ जनता को हुआ यह झाबुआ और अलीराजपुर की यात्रा करने के बाद देखा जा सकता है.दरअसल, सरकारों ने जनकल्याण की दृष्टि से अनेक योजनाएं बनाई लेकिन इसके बावजूद मध्यप्रदेश अभी भी पिछड़ा हुआ राज्य माना जाता है. इस स्थिति को बदलने के लिए क्रियान्वयन पर सबसे अधिक जोर देना होगा. बहरहाल, पचमढ़ी मंथन के दौरान अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. तीर्थ दर्शन योजना को विस्तारित किया गया है. अब इस योजना में हवाई यात्रा को भी जोड़ा गया है. देश के कुछ और तीर्थ स्थान चिन्हित कर तीर्थ दर्शन योजना का दायरा बढ़ाया गया है.पचमढ़ी को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने के लिए संयुक्त प्रयास का फैसला लिया गया. दरअसल, खनिज संपदा के साथ ही मध्यप्रदेश में धार्मिक और ईको पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. इसका विस्तृत अध्ययन कर कार्य योजना बनाई जानी चाहिए और उस हिसाब से आधारभूत ढांचा मजबूत किया जाना चाहिए. मध्य प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से केरल, गोवा और राजस्थान की श्रेणी में आ सकता है. इस संबंध में सरकार प्रयत्न भी कर रही हैं. इसी तरह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में दी जाने वाली राशि को 51 हजार से बढ़ाकर 55 हजार रूपए करने का ऐलान किया गया है. लाडली लक्ष्मी योजना-2 के प्रारूप को अंतिम रूप देने के लिए मंत्री सुश्री ऊषा ठाकुर, सुश्री मीना सिंह तथा मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया को दायित्व सौंपा गया है.योजना 2 मई को आरंभ की जाएगी. आने वाले दिनों में प्रदेश में 48 हजार करोड़ के निर्माण कार्य होना है.अत: निर्माण कार्य के लिए पीआईयू सहित प्रतिष्ठित तथा अच्छी साख वाली संस्थाओं को सूचीबद्ध किया जाएगा ,यह निर्णय लिया गया. सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत कार्यालयों के डिजिटिलाइजेशन की प्रक्रिया को तेज करने का निर्णय भी लिया गया. इससे विभागीय जांच, पेंशन प्रकरण आदि का समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित हो सकेगा. बहरहाल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जैसा कि कहा भी है कि पचमढ़ी मंथन का अमृत जनता में बटेगा. उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसा ही होगा. मुख्यमंत्री पूरी तरह से इलेक्शन मोड पर हैं. इस कारण वे जानते हैं कि यदि एंटी इनकंबेंसी को समाप्त करना है तो जन कल्याणकारी कामों का लाभ जनता तक पहुंचे इसके प्रयास करने होंगे. मुख्यमंत्री इस संबंध में चिंतित हैं और वे लगातार अधिकारियों की बैठक लेकर प्रभावी क्रियान्वयन को मॉनिटर कर रहे हैं.