30 दिन में अभ्यावेदन निराकरण करने के दिये निर्देश
जबलपुर: ग्राम सचिव के पद पर पदस्थ पति की कोरोना से मौत के बावजूद भी मुख्यमंत्री कोरोना योद्धा योजना का लाभ नहीं दिये जाने के खिलाफ विधवा महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका में कहा गया था कि अस्पताल द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र में इस बात का उल्लेख है कि उसका पति कोरोना वायरस से संक्रमित था। जस्टिस सुजय पॉल की एकल पीठ ने महिला के अभ्यावेदन का निराकरण 30 दिनों की समय अवधि में कर न्यायालय को अवगत कराने के निर्देश जारी किये है। यह मामला सतना निवासी शीला श्रीवास्तव की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि उसका पति सुरेश कुमार श्रीवास्तव ग्राम पंचायत विरहा में सचिव के पद पर पदस्थ था।
कोरोना महामारी में कार्य के दौरान वह भी कोरोन वायरस से संक्रमित हो गये थे। जिनकी मृत्यु 26 सितम्बर 2020 को उपचार के दौरान जबलपुर स्थित निजी अस्पताल में हुई थी। उसके पति की सीटी स्क्रैन रिपोर्ट में इंफेक्शन स्कोर 25 में 17 था और एस पी ओ टू भी 88 प्रतिशत था अस्पताल द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण-पत्र में इस बात का उल्लेख है कि उसका पति कोरोना वायरस के संक्रमित था और उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। याचिका में कहा गया था कि केन्द्र सरकार के परिवार एव कल्याण विभाग द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार जिन व्यक्ति को एसपीओटू 90 प्रतिशत से कम है उनकी मौत कोरोना से मानी जायेगी। याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने सीईओ जिला पंचायत सतना को निर्देशित किया है कि वह महिला के अभ्यावेदन का निराकरण तीस दिनों में कर न्यायालय को अवगत कराये। ।