प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय यात्रा पर यूरोप में है.वे जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की यात्रा पर हैं. उनका यूरोप दौरा 4 मई को समाप्त होगा. जर्मनी में उन्होंने चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की, जिसमें व्यापार और ग्रीन एनर्जी पर आपसी सहयोग जैसे विषय शामिल थे. जर्मनी के बाद प्रधानमंत्री डेनमार्क पहुंच गए हैं, जहां वे प्रधानमंत्री मेटे फेडरिकसन से चर्चा करेंगे. डेनमार्क डेरी उत्पादन के मामले में विश्व में प्रथम स्थान रखता है. प्रधानमंत्री डेनमार्क से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए तकनीक भारत में लाने संबंधी चर्चा करेंगे. डेनमार्क में प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री इंडो-नार्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए हैं. इस सम्मेलन में फिनलैंड, आईसलैंड, नॉर्वे और स्वीडन भाग ले रहे हैं. शिखर सम्मेलन में आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, इनोवेशन, टेक्नोलॉजी, रिन्यूएबल एनर्जी और आर्कटिक जैसे विषयों पर चर्चा हो रही है. लौटते समय प्रधानमंत्री फ्रांस के राष्ट्रपति मैनुअल मैक्रो से चर्चा करेंगे. भारत, फ्रांस से रक्षा संबंधी मामलों में प्रमुख सहयोगी है. अति उन्नत राफेल विमान फ्रांस ने ही भारत को दिए हैं. जर्मनी और फ्रांस से भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं. कश्मीर के मुद्दे पर भी जर्मनी और फ्रांस में भारत का पक्ष लिया था. प्रधानमंत्री की यह विशेषता है कि वे जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो उसमें आपसी व्यापार के संबंध अवश्य शामिल होते हैं. प्रधानमंत्री की कोशिश रहती है कि वे भारतीय उत्पादों की अपने तरीके से मार्केटिंग करें. जर्मनी में भी उन्होंने यही किया. प्रधानमंत्री ने जर्मन में रह रहे भारतीयों को संबोधित करते हुए भारतीय खादी को ग्लोबल ब्रांड बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि जर्मनी में बसे भारतीय लोकल को ग्लोबल बनाने के लिए काम करें. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उनकी सरकार की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि हाल ही के दिनों में भारत का निर्यात 50 लाख करोड़ तक हो गया है. खादी के बारे में उन्होंने कहा कि पहले खादी को कोई पूछता नहीं था अब खादी का मार्केट एक लाख करोड़ तक का हो गया है. प्रधानमंत्री के प्रयासों से विदेशी मुद्रा भंडार भी उच्चतम स्तर पर है. प्रधानमंत्री ने करीब करीब परंपरा सी बना ली है कि विदेश यात्रा के दौरान वे वहां पर बसे भारतीयों को जरूर संबोधित करते हैं. इससे भारत की ताकत का भी पता चलता है और वे अप्रवासी भारतीयों को भारत में निवेश करने के लिए भी प्रेरित करते हैं. उनके दौरे में विदेशी निवेशकों के लिए भी खास कार्यक्रम होते हैं. प्रधानमंत्री की कोशिशों के फलस्वरूप विदेशी निवेश के मामले में भी भारत में उल्लेखनीय प्रगति की है. यही वजह है कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से पटरी पर लौटी है. कोरोना संक्रमण के समय जिस तरह से भारत में महामारी के खिलाफ जंग लड़ी गई उसकी प्रशंसा सारी दुनिया में होती है. वैक्सीनेशन के मामले में भी भारत ने अमेरिका और यूरोप के समक्ष एक मिसाल कायम की है. प्रधानमंत्री की नेतृत्व क्षमता का लोहा आज दुनिया मान रही है. उनके मौजूदा यूरोप दौरे का मुख्य उद्देश ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना और वैकल्पिक ऊर्जा के मामले में परस्पर सहयोग करना है. इस संबंध में यूरोप के देश भारत को सहायता भी दे रहे हैं. जर्मनी, फ्रांस और डेनमार्क से जो समझौते हुए हैं. उसका लाभ आने वाले दिनों में भारत को होगा और भारत का निर्यात और बढ़ेगा. समग्र दृष्टि से देखें तो प्रधानमंत्री का यूरोप दौरा सफल माना जाना चाहिए.