गुना वन महकमे की राजस्थान में दविश, 80 लाख की सागवान जब्त

 

संयुक्त टीम ने राजस्थान वन विभाग के सहयोग से मनोहर थाना में की कार्रवाई

-लगातार हो रही है गुना से सागवान की तस्करी, संसाधनों के अभाव में असहाय नजर आता है अमला

गुना। गुना वन मंडल की संयुक्त टीम ने राजस्थान के मनोहर थाना क्षेत्र में दविश दी है। कार्रवाई के दौरान 3 से 4 हजार सागवान के नग जब्त किए गए हैं। जिनकी अनुमानित कीमत 70 से 80 लाख रुपए बताई गई है। पहली बार बड़े स्तर पर हुई इस कार्रवाई के दौरान राजस्थान के वन अमले ने भी गुना की टीमों का सहयोग किया।
दरअसल, गुना के बीनागंज, मधुसूदनगढ़ और आरोन वन परिक्षेत्र से सागवान की तस्करी का लगातार जारी है। इसे रोकने के लिए वन विभाग ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। लेकिन संसाधनों की कमी होने की वजह से तस्कर हर बार चकमा देकर भाग निकलते हैं। हालांकि समय-समय पर सागवान की लकड़ी अमला जब्त कर लेता है। लेकिन इस बार मनोहर थाना क्षेत्र में जाकर कार्रवाई की गई है, क्योंकि अधिकांश लकड़ी तस्करी राजस्थान में जाकर ही सागवान बेचते हैं। इसलिए गुना मंडल अधिकारी के निर्देशन में बीनागंज वन परिक्षेत्र के रेंजर सौरभ द्विवेदी, वन परिक्षेत्र राघौगढ़, वन परिक्षेत्र गुना दक्षिण की टीमें राजस्थान पहुंची और मनोहर थाना क्षेत्र के वन अधिकारियों से सम्पर्क किया गया। सभी टीमों ने संयुक्त रूप से मनोहर थाना में आरा मशीनों पर दविश दी और 3 से 4 हजार नग सागवान लकड़ी जब्त की है। गौरतलब है कि गुना वन मंडल से हो रही तस्करी को रोकने के लिए विभाग के तमाम प्रयास नाकाफी साबित रहे। कई बार वन अमले को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। वन कर्मियों के पास हथियार हैं, लेकिन उन्हें केवल हवाई फायर करने की अनुमति है। रात के अंधेरे में तस्कर बड़ी सफाई से अपना काम कर निकल जाते हैं।

ऐसे काम कर रहा है तस्कर गिरोह

गुना जिले के वन परिक्षेत्र मधुसूदनगढ़ और बीनागंज की सीमा से सटे दक्षिण रेंज लटेरी से तस्करी के रूट की शुरुआत होती है और तस्कर राजस्थान के मनोहर थाना में जाकर सागवान खपाते हैं। इससे पहले कम से कम 40 से 50 बाइक पर दो-दो की संख्या में तस्कर सवार होते हैं और गुना जिले के मधुसूदनगढ़, राजगढ़ के सुठालिया, फिर गुना के बीनागंज से होते हुए मनोहर थाना जाकर तस्करी की सागवान बेच देते हैं। लगभग 100 किलोमीटर के इस रूट के दौरान वन विभाग का सीमित अमला 80 से 10 तस्करों से अधिकांश बार लोहा लेता है। मधुसूदनगढ़ वन परिक्षेत्र के भगवतीपुरा, झिरनिया, लटेरी के रायपुरिया डेर और इमलिया पान में तस्करों का मूवमेंट देखा जाता है। सभी तस्करों के पास चोरी की बाइक होती है, जो भोपाल, जबलपुर और इंदौर जैसे शहरों से यह चोरी करते हैं।

कई बार होते है मुठभेड़

तस्करी के दौरान समुदाय विशेष से संबंधित होने के चलते तस्कर हथियारों के रूप में गोफन (पत्थर फेंकने का यंत्र), लाठियां आदि का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में वन अमला अपने बंदूकों से सिर्फ हवाई फायर करता है, लेकिन तस्कर वन रक्षकों को सीधे निशाना बनाते हैं। वन विभाग ने कई बार पुलिस के सहयोग से कार्रवाई की है। मगर संख्या बल अधिक होने के चलते तस्करों द्वारा हमारे कर्मचारियों और पुलिस पर हमला बोला गया। अब तक 7 से 8 उडऩ दस्तों पर हमले हुए। जिनमें पुलिस विभाग और वन परिक्षेत्र के वाहनों को क्षति हुई। कई कर्मचारियों के हाथ टूटे, सिर में फ्रेंक्चर आए। नजदीकी मुठभेड़ में दर्जनों तस्करों ने एकजुट होकर एक दो कर्मचारियों को बंदूकों के बट से मारा और लाठियों से जानलेवा हमला किया। एक कार्रवाई के दौरान वन चौकी को आग लगाने की घटना भी सामने आ चुकी है।

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