ग्वालियर : भितरवार में बाढ़ पीड़ितों के साथ मदद के नाम पर मजाक किया गया है। 3 दिन पहले प्रशासन ने ग्वालियर सांसद विवेक शेजवलकर के हाथ से नजरपुर गांव के बाढ़ पीड़ितों को कपड़े, जूते और चप्पल बंटवाएं। गांव वालों ने जब गठरी खोली तो और चेक किए तो वे फटे और पुराने थे। यह देखकर गांव के पीड़ितों की आंखों में आंसू आ गए। शुक्रवार को पीड़ितों ने प्रशासन की मदद SDM ऑफिस को वापस लौटा दी। लोगों ने दफ्तर का घेराव करके कहा- हम भिखारी नहीं है। बाढ़ में हमारी गृहस्थी और मेहनत की पूरी कमाई बह गई है। सरकार या अफसर मदद नहीं कर सकते तो न करें, लेकिन झूठी उम्मीद बंधाकर इस तरह मजाक तो न उड़ाए। इस तरह की हरकत से लोगों में काफी आक्रोश है।
ग्वालियर-चंबल अंचल में 1 व 2 अगस्त को भीषण बाढ़ आई थी। इसमें ग्वालियर जिले के डबरा-भितरवार के इलाकों के करीब 46 गांव के हजारों लोग बेघर हो गए थे। 2500 से ज्यादा मकान टूट गए या बह गए थे। यह मकान अब किसी लायक नहीं बचे हैं। लोगों का पैसा, गहने, गृहस्थी का सामान व मवेशी तक बह गए थे। हालत यह है कि कई गांव में लोगों के पास पहनने के लिए दूसरी जोड़ी कपड़े तक नहीं हैं।
सांसद के हाथों करा दी ऐसी मदद
24 अगस्त को ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भितरवार के बाढ़ प्रभावित गांव नजरपुर में पहुंचे थे। यहां उन्होंने गांव की महिलाओं, बच्चों और पुरुषों को कपड़े और जूते चप्पल भेंट किए थे। जो सामान उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से दिए और फोटो खिंचवाए, वह तो अच्छे थे, लेकिन गांव के लोगों ने जब उनके जाने के बाद गठरी खोली तो वह फटे-पुराने कपड़े, जूते, चप्पल देखकर हैरान रह गए।
SDM कार्यालय घेरा, किया हंगामा
नजरपुर गांव के लोगों ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे इस मामले में हंगामा शुरू कर दिया है। पीड़ितों ने भितरवार SDM अश्वनी कुमार के दफ्तर पहुंचकर कपड़े और जूते फेंक दिए हैं। प्रशासन का कहना है कि यह NGO के द्वारा भेजे गए कपड़े और जूते हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि आपको तो देखकर वितरित करना चाहिए। दोपहर 3 बजे तक हंगामा जारी था।
लोगों का कहना झूठी उम्मीद न बंधाओं तकलीफ होती है
नजरपुर गांव की ममता देवी ने कहा कि बाढ़ में सब कुछ बह गया। अब कुछ नहीं बचा है। तीन दिन पहले यह राहत सामग्री बांटी गई थी, जिसमें फटे कपड़े व जूते हैं। सामान भले ही मत बांटो, लेकिन गरीब को झूठी उम्मीद तो मत बंधाओ। हमारा मजाक मत उड़ाओ। मुन्नीबाई ने कहा कि फटे, कपड़ा, जूता बांट गए हैं। प्रशासन और सरकार हमसे ऐसा व्यवहार करेगा पता नहीं था। प्रकृति ने हमे सताया है और नेता और अफसर मजाक उड़ा रहे हैं। ऐसा न करो गरीब का मजाक मत बनाओ।