जबलपुर: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल ने शुक्रवार को कक्षा 12वीं एवं 10वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम को जारी कर दिया है। सुबह 12वीं तो दोपहर में कक्षा 10 वीं के नतीजे घोषित किए गए। आनलाइन घोषित नतीजों को देखने हर कोई बेकरार रहा। जैसे ही रिजल्ट जारी हुए वैसे ही छात्र-छात्राओं ने अपने प्रवेश पत्र निकाल कर परिणाम देखा, फिर परिजनों दोस्तों और शिक्षकों के साथ साझा कर खुशियां मनाई। जबलपुर शहर में भी 12वीं व 10 वीं सीबीएसई में सफल विद्यार्थी जश्न मनाते दिखे। दिल्ली पब्लिक स्कूल में कामर्स की 12 वीं की छात्रा इंजला खान को 98.6 प्रतिशत अंक और अंक गणित विज्ञान संकाय की मेघल पटेल को 98.2 प्रतिशत अंक मिले हैं। 10 वीं में दिल्ली पब्लिक स्कूल, मंडला रोड के छात्र अनवेशा डेनियल ने 96.8 तो लक्ष्य महावर ने 96.6 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं।
मेघल बनना चाहती है पायलट
दिल्ली पब्लिक स्कूल में गणित संकाय की 12 वीं की छात्रा मेघल पटेल को 98.2 प्रतिशत अंक मिले हैं। उनके पिता रूपेश कुमार पटैल पेशे से डॉक्टर है लेकिन मेघल पायलट बनना चाहती है। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और बहन को दिया है।
बिजनेस करता चाहती है इंजला
12 वीं में जबलपुर की इंजला खान को 98.6 प्रतिशत प्राप्त हुए है। वे बिजनेस करना चाहती है। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय पिता आरिफ खान और मां तरन्नुम को दिया है।
आईआईटी की तैयारी कर रहे मानस ने देखा है आईएस बनने का सपना-
12 वीं में 92.8 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले कटंगा निवासी मानस कुमार मंडल ने अपनी सफलता का श्रेय पिता महेश कुमार मंडल पिता महेश कुमार और मां सुनीता मंडल समेत शिक्षकों को दिया है। उनके पिता जहां इंजीनियर है तो वहीं मां गृहणी है। मानस आईआईटी की तैयार कर रहे है। इसके बाद वह यूपीएससी एग्जाम देना चाहते है और आईएस बनने का सपना पूरा करना चाहते है।
भागवान के साथ माता-पिता को सफलता का श्रेय
10 वीं में अनवेशा डेनियल ने 96.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए है। उन्होंनेअपनी इस सफलता का श्रेय पहले भगवात और फिर पिता राजीव एवं मां सोनिया को दिया है। अनवेशा डॉक्टर बनना चाहते है।
किसान की बेटी ने किया टॉप, पढ़ाई के लिए 30 किमी का अपडाउन
सीबीएसई के 12वीं बोर्ड परीक्षा में ज्ञानगंगा स्कूल में पढऩे वालीप्रज्ञा सिंह गौर 98 प्रतिशत लाकर शहर में टॉप किया। शहपुरा निवासी
प्रज्ञा के पिता खेती किसानी करते है। मां ग्रहणी है। प्रज्ञा ने इस सफलता का श्रेय पिता सुभाष सिंह गौर और माता संगीता सिंह गौर समेत शिक्षकों को दिया है। प्रज्ञा ने बताया कि वे 4 से 5 घंटे पढ़ाई करती थी। इसके साथ ही कोचिंग भी करती थी। करीब 1 घंटे का सफर बस से तय कर 25 से 30 किलोमीटर दूर अपने घर से स्कूल जाया करती थी। करीब 1 घंटे का सफर स्कूल बस में ही तय किया करती थी। प्रज्ञा सिंह सीए बनना चाहती है। वह कहती है कि फोकस आपके लक्ष्य पर होना चाहिए। सफलता जरूर मिलती है।