नवभारत न्यूज
सिंगरौली 23अगस्त। पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में सिंगरौली से भाजपा को मिली करारी शिकस्त के बाद भाजपा का प्रदेश एवं राष्ट्रीय नेतृत्व काफी गंभीरता से लिया है। इसी सिलसिले में प्रदेश संगठन महामंत्री के निर्देश पर हार के कारणों का पता लगाने एवं कार्यकर्ताओं से मिलकर वस्तु स्थिति जानने के लिए भोपाल के पूर्व सांसद आलोक संजर एवं हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी भाजपा कार्यालय बैढऩ के ढोंटी रोड दफ्तर पहुंचे हैं। जहां आज वन टू वन कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर जानकारी एकत्रित किये।
गौरतलब हो कि पंचायत चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। वहीं ननि मेयर का सीट भी भाजपा ने खो दिया है। सिंगरौली बीजेपी का गढ़ माना जाता है। यहां आम आदमी पार्टी की इन्ट्री व पंचायत के चुनाव में मिली करारी शिकस्त सबको चिंता में डाल दिया है। ननि में मेयर सीट पर आम आदमी पार्टी का कब्जा होने के बाद इसका असर दिल्ली दरबार तक दिख रहा है। सूत्र बता रहे हैं की चुनावी परिणाम से भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व बेहद खफा है। वहीं प्रदेश नेतृत्व भी हार के कारणों का पता लगाने के लिए चिंतन मंथन कर रहा था। गत दिवस भोपाल में प्रदेश नेतृत्व ने इस मामले में बैठक लेकर दोनों चुनावों में मिली करारी हार के कारणों का पता लगाने दो सदस्यीय टीम रवाना किया है। जहां आज भोपाल के पूर्व सांसद आलोक संजर एवं हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशतोष तिवारी भाजपा जिला दफ्तर पहुंचे। सुबह से ही वन टू वन कार्यकर्ताओं से पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में मिली करारी शिकस्त के कारणों का पता पूछ रहे हैं। इस दौरान सूत्रों से खबर आ रही है की ननि चुनाव सिंगरौली में प्रदेश नेतृत्व के दखल के चलते एवं प्रत्याशी का चयन हार का मुख्य कारण बताया जा रहा है। साथ ही उक्त चुनाव में स्थानीय कार्यकर्ताओं को अहमियत नहीं दी गयी। जिसके चलते भाजपा के वास्तविक कार्यकर्ता दूरी बनाते चले गये। भाजपा कार्यालय में चर्चा रही की प्रदेश नेतृत्व ने इस मामले में एक भी कार्यकर्ताओं की बैठक लेकर मन नहीं टटोला और न ही पर्यवेक्षक आये। पहले चुनाव के पूर्व विधिवत प्रदेश से पर्यवेक्षक आकर कार्यकर्ताओं से रायशुमारी भी करते थे। पहली दफा है की रायशुमारी नहीं की गयी और प्रदेश नेतृत्व ने मनमानी तरीके से प्रत्याशी थोप दिये हैं। यदि यहीं पर कार्यकर्ताओं से राय शुमारी कर मेयर का प्रत्याशी उतारे होते तो शायद परिणाम कुछ और होता। कहीं न कहीं प्रदेश नेतृत्व की बड़ी चूक मानी जा रही है। फिलहाल सिंगरौली में भाजपा के पहुंचे पर्यवेक्षकों से कार्यकर्ताओं में हलचलें बढ़ गयी हैं। इस दौरान भाजपा कार्यालय में सिंगरौली विधायक रामलल्लू बैस, देवसर विधायक सुभाष वर्मा, ननि स्पीकर देवेश पाण्डेय, भाजपा जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र गोयल, भाजपा वरिष्ठ नेता गिरीश द्विवेदी, पूर्व जिलाध्यक्ष रामनिवास शाह, रमापति जायसवाल, जिला मंत्री द्वय विनोद चौबे, प्रवेन्द्र धर द्विवेदी, डीएन शुक्ला, सीमा जायसवाल, सुंदर शाह, गिरिजा पाण्डेय, सूरज पाण्डेय, भारतेन्दु पाण्डेय सहित भारी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।
०००००००००
पर्यवेक्षक कल देंगे अपना प्रतिवेदन
पचमढ़ी में भाजपा का तीन दिवसीय 24 से 26 तक प्रदेश कार्यसमिति सम्मेलन होने वाला है। नगरीय निकाय एवं पंचायत चुनाव में मिली हार के कारणों का प्रतिवेदन पर्यवेक्षकों को प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गये हैं। आज सोमवार को पूर्व सांसद आलोक संजर एवं हाउसिंग बोर्ड के चेयरमैन आशुतोष तिवारी कार्यकर्ताओं से पूछताछ कर भोपाल के लिए रवाना हो जायेंगे। जहां 24 को प्रतिवेदन भी भाजपा प्रदेश शीर्ष नेतृत्व के यहां देंगे। प्रतिवेदन में किसको दोषी ठहराया जायेगा इस पर अभी कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी। खबर आ रही है की भाजपा इस मामले को काफी गंभीरता से लिया है। चर्चाओं के मुताबिक हार का ठिकरा भाजपा प्रदेश नेतृत्व जिले पर थोपने का प्रयास करेगा। जबकि मेयर का टिकट प्रदेश नेतृत्व ने ही तय कर दिया था। कार्यकर्ताओं की रायशुमारी नहीं की गयी थी।
००००००००००००
दफ्तर में चल रहा था जोर आजमाईश
सूत्र बता रहे हैं कि पर्यवेक्षकों के समक्ष भाजपा दो गुटों में बटी नजर आयी। जिला संगठन को कमजोर बताने के लिए एक गुट सक्रिय था। जहां उनके द्वारा अपने पक्ष के कार्यकर्ताओं को अधिक से अधिक संख्या में आकर पर्यवेक्षकों के समक्ष कमियां बताने के लिए लगातार समझाईश दी जा रही थी। वहीं दूसरा पक्ष चुनाव के हार के प्रमुख कारणों को भी बताने में लगा हुआ था। बीजेपी में ही चर्चा रही की पर्यवेक्षकों के समक्ष यह बात खुलकर सामने आ गयी थी की सिंगरौली में भाजपा गुटबाजी चरम सीमा पर है और यह गुटबाजी करीब डेढ़ साल से शुरू हुई है। इस गुटबाजी का उद्देश्य भाजपा को कमजोर करना है और अपना निजी स्वार्थ सिद्ध करना शामिल है। भाजपा के प्रदर्शन से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। इनकी क्रियाकलाप लोकसभा चुनाव के दौरान जगजाहीर है।
००००००००००
अति आत्म विश्वास से बीजेपी हारी चुनाव
भाजपा के प्रदेश नेतृत्व अति आत्म विश्वास से लवरेज रही। उन्हें उम्मीद थी की मोदी के नाम पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को मतदाता आंख बंद कर मतदान कर देंगे और इसी के चलते बिना किसी रायशुमारी के ही नगरीय निकाय चुनाव में प्रत्याशी का चयन कर दिया गया और परिणाम सबके सामने है। यहां भाजपा समर्थित एक बड़ा तबका ब्राम्हण समुदाय खफा हो गया। वहीं पंचायत चुनाव में भाजपा के प्रदेश शीर्ष नेतृत्व ने कार्यकर्ताओं में सामंजस्य बैठाने का दूर-दूर तक प्रयास नहीं किया। नहीं तो जिला पंचायत सदस्य की तीन सीटें भाजपा की झोली में होती। सबसे बड़ी हार चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में हुई है। जहां भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष कांतदेव सिंह का गृहक्षेत्र भी है। यहां पंचायत चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया है। जनपद से लेकर जिला पंचायत में करारी हार मिली है।