12 प्रतिशत की जीएसटी से एमआईसी खफा

कार्यपालन यंत्री पर लगाया घोर लापरवाही का आरोप

सिंगरौली : नगर पालिक निगम सिंगरौली के स्वीकृत एवं प्रस्तावित निर्माण कार्यों में 18 के बदले 12 प्रतिशत जीएसटी न लगाये जाने पर एमआईसी के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति करते हुए इसे दण्डनीय अपराध मानते हुए घोर लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज कर दी गयी है। हालांकि इस मामले में निगमायुक्त आरपी सिंह कुछ भी जबाव देने से मना कर दिया है।दरअसल सूत्र बताते रहे हैं केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने एक आदेश पारित कर सरकारी निर्माण कार्यों पर लगने वाले जीएसटी को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। शुक्रवार को एमआईसी की बैठक में निर्माण कार्य से संबंधित दो प्रस्ताव पास किये गये।

जिसमें केवल 12 प्रतिशत ही जीएसटी लगायी गयी है। इसी तरह ननि ने सिविक सेंटर बनाने का कार्य भी करीब 45 करोड़ की लागत का है। जिसमेें जीएसटी केवल 12 प्रतिशत लगायी गयी है। ननि ने तीसरे बार इस टेण्डर को लगाया है। लेकिन जीएसटी में कोई बदलाव नहीं किया है। साथ ही अमृत 2.0 के तहत पेयजल योजना के लिए 47.02 करोड़ का डीपीआर प्रस्तुत किया गया। इसमें भी मात्र 12 प्रतिशत ही जीएसटी लगायी गयी है। वार्ड क्र.41 शनसाइन स्कूल से हिर्रवाह कन्वेयर बेल्ट सड़क डामरीकरण के कार्य की लागत 2.50 करोड़ है। इस कार्य में भी जीएसटी लगाने में कोताही बरती गयी है। इसके अलावा हाल ही में पिछले माह करोड़ो रूपये के टेण्डर कराये गये।

उसमें भी जीएसटी 18 प्रतिशत है। सूत्र बता रहे हैं कि ननि के जिम्मेदार अधिकारियों से इस करतूत एवं भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के आदेश की अवहेलना एमआईसी के सदस्य मान रहे हैं और जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग भी शुरू कर दी है। साथ ही अगली एमआईसी की बैठक में वित्त मंत्रालय द्वारा जारी आदेश अनुसार इन प्रस्तावों को रखे जाने के लिए भी कहा जा रहा है। ननि सिंगरौली के एमआईसी द्वारा किये जा रहे इस आपत्ति में कितनी सच्चाई है इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पा रही है।

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