दिग्विजयसिंह अध्यक्ष बने तो कांग्रेस में होगे कई बदलाव!

नरेंद्र नाहटा और सोजतिया का प्रदेश में बढ़ सकता है पॉवर

मंदसौर: मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजयसिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में है। दिग्विजयसिंह का मंदसौर से पुराना नाता रहा है। नरेंद्र नाहटा और सुभाष सोजतिया उनके कार्यकाल में मंत्री रहे हैं। यह तय है कि दिग्गी राजा अध्यक्ष बनते हैं तो नरेंद्र नाहटा और सुभाष सोजतिया प्रदेश कांग्रेस की कमान संभालेगे। मतलब मंदसौर से ही प्रदेश कांग्रेस संचालित होगी।कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करने का मन बना चुके हैं, अगर वे चुनाव में अध्यक्ष बनते हैं तो निश्चित तौर पर मंदसौर लोकसभा क्षेत्र में वे बड़े प्रयोगों से नहीं हिचकेंगे। वे 10 साल सीएम और उसके पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहने के नाते चप्पे-चप्पे से भली-भांति परिचित रह चुके हैं। संगठन में उनके फॉलोवर्स की लंबी फौज भी है।

वे अध्यक्ष बने तो उनके नेतृत्व में ही एमपी 2023 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव होंगे। चुनावी लिहाज से दिग्विजय उनके गृह प्रदेश एमपी में टिकट वितरण में निश्चित ही पूरा अनुभव झोकेंगे, ये भी माना जा रहा है कि कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उनके साथ 10 साल तक कैबिनेट मंत्री रहे नरेंद्र नाहटा नीमच के मनासा से, 6 साल से ज्यादा कैबिनेट मंत्री रहे सुभाषकुमार सोजतिया गरोठ विधानसभा से तो 1998 में सीतामऊ से अपना आखिरी चुनाव लड़े और जीते पूर्व गृहमंत्री भारतसिंह जावरा एक बार फिर विधानसभा 2023 के लिए चुनावी ताल ठोकते दिख सकते हैं। अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इनमें से टिकट से वंचित कोई लीडर मंदसौर लोकसभा प्रत्याशी भी बन जाए।
लोस की दौड़ में दोनों पूर्व मंत्री
तीनों टॉप 3 लीडर पर ही कांग्रेस दांव खेलने पसंद करेगी क्योंकि नाहटा 1998 में केवल 17 हजार मतों से लोकसभा हारे थे। जबकि सोजतिया व भारतसिंह लोकसभा प्रत्याशी नहीं बन पाए। रतलाम निवासी पूर्व प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन आखिरी 2 लोकसभा चुनाव में क्रमश 3 लाख 3 हजार 669 मत (2014 में) और 3 लाख 76 हजार से अधिक मतों (2019 में) रिकार्ड हार झेल चुकी हैं। ऐसे में शायद नटराजन की सेवाएं संगठन में ली जा सके या नए प्रयोग के तौर पर किसी विधानसभा में उनके नाम पर विचार हो जाए।
ये हैं पदों के दावेदार
मंदसौर जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए युवा कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सोमिल नाहटा, वरिष्ठ नेता ओमसिंह भाटी, रवींद्रसिंह रांका, अल्पसंख्यक वर्ग से आने वाले सिख चेहरे मनजीतसिंह टूटेजा (मनी) और राजेश रघुवंशी, प्रदेश सचिव सुरेंद्र कुमावत, राकेश पाटीदार जैसे नाम चर्चा में हैं। वहीं शहर जिलाध्यक्ष या मंदसौर ब्लाक अध्यक्ष पद के लिए चर्चाओं में जो नाम हैं उनमें मंदसौर नपाध्यक्ष चुनाव में अध्यक्ष प्रत्याशी रहीं पिंकी सोनी के पति कमलेश सोनी ‘लालाÓ, सुरेश भाटी, राजनारायण लाड, रतलाम निवासी पूर्व सांसद नटराजन के कट्टर समर्थक गांधीवादी नेता तरुण शर्मा का नाम हैं।
मंदसौर, नीमच जिलाध्यक्ष बदलकर नए चेहरों को मौका
मंदसौर, नीमच जिले में कांग्रेस जिलाध्यक्ष बदले जाने की संभावना में अब कोई संशय नहीं बचा है। लगभग सभी चुनाव में भाजपा जीती है और बड़े मार्जिन से। कांग्रेस कई चुनाव में क्रॉस वोटिंग तो कुछ में प्रत्याशी अधिकृत होने के बाद भी मैदान में ना जाने वाले फैसले से चौंकाती रही, जिससे संगठन पर सवाल उठे। विधानसभा 2023, लोकसभा 2024 से पहले जोखिम के मूड में संगठन शायद ही रहे। मंदसौर में कांग्रेस गुटबाजी 2 साल पर उस वक्त चरम पर रही थी जब स्थानीय संगठन की गोपनीय रिपोर्ट से सोमिल नाहटा 6 साल कांग्रेस से निष्कासित हुए, मामला उस वक्त भी दिग्विजयसिंह के पास पहुंचा था और मामले की गंभीरता से सुनवाई के बाद यही निष्कर्ष निकला था कि सोमिल विवाद सुलझाने में लगे थे।

अनुशासन कमेटी चेयरमेन भारतसिंह ने तत्काल सोमिल की कांग्रेस में वापसी कराई थी। अब पूर्व सीएम दिग्विजयसिंह की अगले दिनों में अध्यक्ष ताजपोशी होती है तो निश्चित ही सोमिल फैक्टर ‘निष्कासन पटकथाÓ लिखने वालों पर ग्रहण का काम अवश्य करेगा। सोमिल ने मामले को लेकर कोई विरोध नहीं किया था लेकिन समर्थकों में खासा आक्रोश था जो समय-समय पर सामने आता रहा है। वहीं गरोठ ब्लाक अध्यक्ष और जिला कांग्रेस अध्यक्ष के बीच लैटरवॉर भी किसी से छिपी नहीं है। निश्चित ही अगले चुनावों के मद्देनजर नई नियुक्तियां जल्द होंगी और सोच-विचारकर ही सशक्त चेहरे सामने लाने की रणनीति पर काम होगा।

नव भारत न्यूज

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