7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से प्रारंभ हुई राहुल गांधी की भारत जोड़ो पदयात्रा बुधवार को बुरहानपुर में प्रवेश कर गई. यह यात्रा मध्य प्रदेश में 382 किलोमीटर की दूरी तय करके करीब 2 दिसंबर को राजस्थान में प्रवेश करेगी. इस दौरान यात्रा बुरहानपुर,खंडवा,खरगोन, इंदौर , उज्जैन और आगर जिले से होते हुए राजस्थान जाएगी. राहुल गांधी के साथ हजारों पदयात्री साथ में चल रहे हैं. वे अपनी यात्रा के दौरान अनेक धार्मिक और क्रांतिकारियों के स्मारक स्थलों पर जाकर अपना सम्मान प्रकट करेंगे. कांग्रेस ने इस यात्रा का मकसद भारत को जोडऩा नफरत,संप्रदायवाद, जातिवाद को दूर करना बताया है. कांग्रेस का यह भी मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में लोकतंत्र खतरे में है. इसलिए इस यात्रा के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों को भी मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा. यात्रा का मकसद जो भी हो लेकिन राहुल गांधी का पदयात्रा करना स्वागत योग्य कदम माना जाना चाहिए. करीब 36 सौ किलोमीटर पदयात्रा तय करके वे काश्मीर जाएंगे. इस दौरान उन्हें भारत की विविधता और उसकी एकात्मता की जानकारी नजदीक से मिलेगी.उन्हें भारत की विविध सांस्कृतिक विशेषताओं के बारे में भी जानकारी मिलेगी तथा लोगों से संवाद करने का अवसर भी प्राप्त होगा. जिससे निश्चित रूप से उनके व्यक्तित्व में बदलाव आएगा. भारत को जानने का सबसे अच्छा तरीका पदयात्रा करना ही है. इस तरीके को आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद से लेकर अनेक हस्तियों ने अपनाया है. भारत की जनता ने हमेशा पद यात्रियों का स्वागत किया है. नर्मदा परिक्रमा के बारे में कहा जाता है कि कोई भी परिक्रमावासी इस दौरान कभी भूखा नहीं सोता. जाहिर है पदयात्रा का हमारे देश में बहुत महत्व है.दरअसल, हमारी सनातनी संस्कृति की विशेषता यही है कि यहां त्यागऔर वैराग्य को हमेशा से सम्मान दिया जाता रहा है.राहुल गांधी वैरागी तो नहीं हैं,लेकिन उन्होंने अनेक सुख सुविधाओं का त्याग कर पदयात्रा का मार्ग चुना है.यही वजह है कि उन्हें भरपूर जन समर्थन भी मिल रहा है.बहरहाल, कांग्रेस ने पदयात्रा का उद्देश्य भले ही सामाजिक और सांस्कृतिक बताया हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि ये पूरी तरह से राजनीतिक मकसद से की गई यात्रा है. इससे कांग्रेस को लाभ ही होगा. इस समय कांग्रेस अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही है . ऐसे में यह पदयात्रा पार्टी को मजबूत और जनता में भरोसा पैदा करेगी. खुद राहुल को इससे व्यक्तिगत रूप से लाभ होगा. जहां तक मध्यप्रदेश का प्रश्न है तो यहां एक वर्ष बाद चुनाव होने वाले हैं.मालवा निमाड़ को प्रदेश की सत्ता की कुंजी कहा जाता है.राहुल गांधी की पूरी यात्रा मालवा निमाड़ से होकर गुजरेगी. जाहिर है कांग्रेस को उनकी यात्रा से मालवा निमाड़ में वापसी करने का अवसर मिलेगा, जिससे उसकी चुनावी संभावनाएं बढ़ेंगी. इसी के साथ कार्यकर्ताओं का भी मनोबल राहुल के आने से बढ़ रहा है.कुल मिलाकर राहुल गांधी ने एक सकारात्मक और गंभीर कदम उठाया है. जिसका स्वाभाविक रूप से स्वागत किया जाना चाहिए.