मोदी ने किया उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास: शाह

वाराणसी,  (वार्ता) केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को कहा कि आदि शंकराचार्य के बाद भारत में उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का सफल प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है।
बीएचयू के एम्फी थियेटर ग्राउंड में काशी तमिल संगमम के समापन समारोह को संबोधित करते हुये श्री शाह ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान देश की सांस्कृतिक एकता, विरासत की विविधता और अलग अलग संस्कृतियों के अंदर भारतीय आत्मा को कुछ हद तक मलिन किया था। उसके पुनर्जागरण की जरूरत थी, आजादी के तुरंत बाद ये प्रयास होना चाहिए था, मगर कई साल तक ये नहीं हुआ। काशी तमिल संगमम भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरुआत है। इस कार्य को आजादी के बाद ही शुरू कर देना चाहिए था, मगर नहीं किया गया। आदि शंकराचार्य के बाद भारत में उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ये पहला सफल प्रयास है।
उन्होने कहा “ मेरा अनुरोध है कि आप जब यहां से लौटें तो अपने साथ काशी से एक लोटे में गंगाजल लेकर जाएं और रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग पर अर्पित करें और दोबारा जब कभी काशी आएं तो रामेश्वरम से सागर की रेत लेकर आएं और मां गंगा में अर्पित करें। ” 17 नवंबर से आयोजित काशी तमिल संगमम का शुक्रवार को समापन हो गया।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा “आज एक प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी की काशी तमिल संगमम की कल्पना की पूर्णाहुति होने जा रही है। मगर मैं कहना चाहता हूं कि ये पूर्णाहुति नहीं बल्कि शुरुआत है भारतीय संस्कृति के दो उत्तुंग शिखर तमिलनाडु और काशी की संस्कृति, भाषा, दर्शन, कला और ज्ञान के मिलन की।”
उन्होने कहा कि भारत अनेक संस्कृतियों, संस्कार, भाषा, मूल्य और कलाओं का देश है। मगर सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वो आत्मा है भारत की। इसीलिए दुनिया भर के देशों के अस्तित्व और रचना का अभ्यास करने वाले विद्वान कहते हैं कि विश्व के सारे देश जियो पॉलिटिकल कारण से बने देश हैं, मगर भारत जियो कल्चरल देश है और संस्कृति के आधार पर बना है। क्योंकि हम भू सांस्कृतिक देश हैं, इसलिए हमारी एकात्मकता का आधार हमारी संस्कृतियां हैं। बहुत लंबे समय से हमारे देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था। पीएम मोदी ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से बहुत सदियों के बाद ये प्रयास किया है, मुझे भरोसा है कि ये आने वाले दिनों में ना केवल तमिलनाडु और काशी, बल्कि पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का अभिनव प्रयास साबित होगा।

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