पन्ना :पूरा जिला इस समय खनन माफियाओं के गिरफ्त में हैं। रेत, मुरूम, मिट्टी, पत्थर का 90 प्रतिशत अवैध उत्खनन एवं परिवहन हो रहा है महज 10 प्रतिशत कारोबार नम्बर 1 में कहा जा सकता है। यानी की शासन की करोड़ों की राजस्व क्षति प्रति माह हो रही है यह सब राजनैतिक एवं प्रशासनिक संरक्षण का परिणाम हैं। अब तो प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को भी नहीं माफिया बख्श रहे हैं। एतिहासिक बृहस्पति कुंड के आसपास भी कुछ समय से अवैध पत्थर का उत्खनन एवं परिवहन हो रहा है। जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट के चंद दूरी पर मांझा, महुआ टोला, गांधी ग्राम, सरकोहा, लालिया, खजुरी कुडार, टपरियन, हीरापुर में चल रहीं अवैध पत्थर खदानें खुलेआम चल रही हैं और पूरे दिन प्रशासन की आंखों के सामने से दर्जनों ट्रेक्टरों एवं ट्रकों के माध्यम से अवैध बोल्डर, जुडाई पत्थर, फर्शी पत्थर का उत्खनन कर परिवहन किया जा रहा है।
जब जिला प्रशासन जिला मुख्यालय का अवैध खनन कारोबार नहीं बंद करा पा रहा है तो फिर वह तहसील के अधिकारियों से वह कैसे अपेक्षा कर सकता है कैसे बंद कराने के लिए मजबूर कर सकता है कुल मिलाकर जिला मुख्यालय से अवैध खनन कारोबार की शुरूआत होती है जो तहसील से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक दिन रात जारी रहता है। इसको समाप्त कर पाना टेड़ी खीर हैं क्योंकि उसमें नेता, खनन माफियाओं की प्रशासन से सांठ गांठ है। वहीं सत्ताधारी दल एवं विपक्षी दल के रसूखदार नेताओं एवं की अवैध पत्थर खदानों के अवैध कारोबार को क्यों छूट दे रखी गयी है। यही कारण है कि जब तक बिना किसी भेदभाव के एकतरफा जिला मुख्यालय से कार्यवाही शुरू करनी पड़ेगी तब कहीं तहसील स्तर के अधिकारी कार्यवाही के लिए कदम उठायेंगे। जब जिला मुख्यालय में अवैध कारेाबार नहीं रूक रहा तो तहसील क्षेत्रों एवं ग्रामीण अंचलों से अवैध कारोबार बंद कराने की मंशा बेमानी साबित होगी।
जिले के पवई, कल्दा और सलेहा क्षेत्र में चल रही अवैध पत्थर खदानों को लेकर अभी तक संयुक्त विभागीय टीमों की की कार्रवाई शुरू नहीं हुई है। सलेहा व कल्दा क्षेत्र में रसूखदार नेताओं एवं पत्रकारों भी दर्जनों की संख्या में अवैध खदानों का संचालन होने के बाद भी यहां वन, राजस्व व खनिज विभाग कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।इन क्षेत्रों में चल रही अवैध पत्थर खदानेंः-गौरतलब है कि खदानें, पवई, कल्दा और सलेहा क्षेत्रों में हैं। यहां बड़ी संख्या में अवैध खदानों का संचालन किया जाता है। सलेहा क्षेत्र मे उचेहरी, कुटमी, खिरवा, जैतपुरा, हरदुआ, पिपरहा, दिया, सिंगड़ा, ककरी आदि सहित आसपास के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में खदानों का अवैध रूप से संचालन किया जा रहा है। इन खदानों में रात को जेसीबी का भी उपयोग किया जाता है। अधिकारियों को भी होती है, इसके बाद भी मामले में कार्रवाई नहीं की जाती है।
गुनौर तहसील मुख्यालय में जारी है मुरूम का अवैध उत्खननः- गुनौर नगर परिषद मुख्यालय होने के साथ अनुभाग भी है। जिससे यहां एसडीएम और एसडीओपी सहित अनुभाग स्तर के सभी विभागों के अधिकारी बैठते हैं। इसके बाद भी यहां शहर के अंदर ही रातदिन मुरुम का अवैध खनन हो रहा है। शहर के अंदर ही करीब आधा दर्जन स्थानों पर अवैध खनन हो रहा है। खनन कारोबारियों ने पूरी भटिया खोद डाली और सैकड़ों पेड़ नष्ट कर दिए। इसके बाद भी जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं। अवैध खनन को लेकर विधायक सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौन धारण किए हुए हैं। मुरूम के अवैध रूप से खनन और परिवहन के कारोबार में लगे लोग नगर के अंदर ही अर्जुन तालाब ,शनि मंदिर की भटिया, बेला तालाब, बालाजी व नगर परिषद के आसपास अवैध रूप से खनन कर रहे हैं। एसडीएम गुनौर भारती मिश्रा से जब चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि अभी तक मामला मेरे संज्ञान में नहीं था। मै दिखवा लेती हूं। अवैध खनन पाए जाने पर संबंधितों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
एतिहासिक बृहस्पति कुंड को भी नहीं बख्शा खनन माफियाओं नेः-खनन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि जिला मुख्यालय के आसपास अवैध पत्थर खदानें भी चला रहे है कि एतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों को भी नहीं बख्श रहे हैं एतिहासिक बृहस्पति कुंड के आसपास पत्थर का अवैध उत्खनन शुरू है। पता चला है कि लगभग 15 दिनों से वृहस्पति कुंड के पास मदनिया तालाब एवं ग्राम बरहो कुदकपुर के बीच जहां से सात कुंडों में से एक हत्यारा कुंड का प्रपात बना हुआ है। वहां के ऊपरी सतह की चट्टानों में पत्थर बोल्डर मौंके में रखा हुआ है। तथा अभी भी उत्खनन जारी है, अवैध उत्खनन कर्ता रात में ट्रेक्टरों के माध्युम से पत्थर का परिवहन कर संबंधित स्थानों में ले जाते हैं यह उत्खनन खुलेआम चल रहा है। जो सतना, बांदा मार्ग से बरहो कुदकपुर, बृहस्पति कुंड के लिए प्रधानमंत्री सडक मार्ग गया है उस रोड से मदनिया तालाब के पास स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, लेकिन आज तक वन खनिज, राजस्व सहित किसी विभाग के अधिकारी कर्मचारी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गई।