यह राहत की बात है कि एक बड़ी आतंकी साजिश दिल्ली पुलिस ने नाकाम कर दी है. दरअसल, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए छह आतंकियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से दो आतंकी हाल में पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं. ये आतंकी दिल्ली, महराष्ट्र व उप्र को दहलाने की साजिश रच रहे थे. इसमें कोई शक नहीं कि हमेशा की तरह इस साजिश के तार भी पड़ोसी देश से जुड़े थे. दरअसल, युद्ध में अनेक बार पराजित होने के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने से बाज नहीं आ रहा है. ताजा मामले में भी पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई व अंडरवल्र्ड की सांठगांठ सामने आई है. आईएसआई ने अंडरवल्र्ड के साथ देश को दहलाने की साजिश की नई रणनीति अपनाई है. इसमें एक ग्रुप को नवरात्र व रामलीलाओं के दौरान भीड़भाड़ वाली जगहों पर बम धमाके करने थे और उन जगहों की पहचान करनी थी. वहीं दूसरे ग्रुप को टारगेट किलिंग करनी थी. इस आतंकी साजिश में भी दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आ रहा है, जिसे पाकिस्तानी सेना ने कराची में छिपा रखा है. आतंकी साजिश नाकाम करने के मामले में दिल्ली पुलिस की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है. यह ध्यान रखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति अब तक कामयाब रही है.
2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से दक्षिण कश्मीर के कुछ जिलों को छोड़ दिया जाए जो देश में कहीं भी आतंकी घटनाएं नहीं हुई हैं. यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. इसका श्रेय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी दिया जाना चाहिए, जो बेहद सख्त प्रशासक माने जाते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालने के बाद आतंकवाद से निपटने के लिए खुफिया एजेंसियों को मजबूत किया और ऐसी नीति बनाई जिससे सभी खुफिया एजेंसियां मिलकर काम कर सकें. इसके नतीजे मिल रहे हैं. दिल्ली पुलिस को मिली है सफलता बताती है कि खुफिया तंत्र ने बखूबी अपना काम किया है. दिल्ली में पकड़े गए सभी आतंकी भले ही एक समुदाय के क्यों ना हो लेकिन आतंकवाद को मजहब से जुडऩा ठीक नहीं है. आतंकवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व स्तर पर सक्रिय हैं और आतंकवाद से पीडि़त देशों के साथ एक ऐसा मोर्चा बनाना चाहते हैं, जिससे दुनिया में आतंकवाद का सफाया हो सके.
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद ऐसा लग रहा है कि फिर से दुनिया के समक्ष आतंकवाद का खतरा नए सिरे से खड़ा हो गया है. दुनिया को इससे मिलजुलकर निपटना होगा. माना जा रहा है कि आतंकियों को सबसे अधिक मदद पाकिस्तान से मिल रही है और पाकिस्तान की शक्ति चीन की मदद है. इसलिए चीन और पाकिस्तान दोनों को समझना होगा कि आतंकवाद को बढ़ावा देना शेर की सवारी करने जैसा है. इसलिए आतंकवाद से निपटने के लिए एक बेहतर और समन्वित नीति बनाना होगी. इस मामले में सभी देशों ने एक दूसरे की मदद करनी होगी. जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो विश्व समुदाय से वह अलग-थलग होते जा रहा है. अमेरिका उसकी हकीकत समझ चुका है. इस कारण से अमेरिकी सहायता में निरंतर कटौती हो रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी पाकिस्तान को कर्ज देने से इनकार कर दिया है. ऐसे में भूखमरी के हालात में पहुंच गए पाकिस्तान को समझ जाना चाहिए कि आतंकवाद उसका कितना नुकसान कर रहा है. पाकिस्तान के शासकों को भी भारत का अंध विरोध छोडक़र आर्थिक विकास की ओर ध्यान देना चाहिए. जहां तक भारत का प्रश्न है तो यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई हुई है, जो प्रभावी ढंग से काम कर रही है. आतंकवाद शांति और विकास का दुश्मन है. इसलिए सभी दलों ने राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर इससे निपटने के लिए सरकार की मदद करना चाहिए.