अंधेरे में पढऩे को मजबूर बच्चे

उपकरणों को बिजली कनेक्शन का इंतजार

मंदसौर: स्कूल चलें हम अभियान जैसी योजनाओं के जरिए बच्चों को स्कूल तक तो लाया जा रहा है। यहां बिजली जैसी मूलभूत सुविधा स्कूलों में नहीं होने से बच्चे अंधेरे में बैठकर पढऩे को मजबूर हैं। गर्मी में परेशानी और बढ़ जाती है। जिले के कई प्रावि और मावि में से अधिकांश में पंखे और लाइट के साथ बिजली मीटर भी है परंतु बिजली बिल जमा करने के लिए अलग से बजट की व्यवस्था नहीं है।

अधिकांश स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं होने से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नाम के ही हैं तो कई जगह है भी नहीं। बच्चे भी उमस भरी गर्मी में पढऩे के बजाय इससे बचने के उपाय ही करते रहते हैं। कुछ बच्चे गर्मी से होने वाली परेशानी के कारण स्कूल भी नहीं पहुंच पाते। जिससे स्कूल चले अभियान जैसी योजनाएं भी असफल हो रही हैं। इसके अलावा बच्चे अंधेरे में पढ़ रहे हैं। इसका कारण स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है।
सिर्फ 5-8 हजार सालाना
प्रावि में खर्च के लिए सालाना 5 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। मावि में यह 8 हजार रुपए है। इसमें स्टेशनरी, पुताई, मरम्मत सहित अन्य खर्च होता है। बिजली बिल भरने के लिए अलग से कोई बजट की व्यवस्था नहीं है।
बच्चों के साथ शिक्षक भी परेशान
शहर सहित कई ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में लाइट और मीटर होने के बाद भी बच्चे अंधेरे में पढ़ रहे हैं। कई स्कूलों में खिड़की खोलने पर असामाजिक तत्वों से अध्ययन प्रभावित होता है।एक कक्षा में 40 से अधिक बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं इससे गर्मी में होने वाली समस्या सहज ही पता चल सकती है। यह स्थिति शहर के स्कूलों में भी है।
स्कूल चलें हम अभियान प्रभावित
जून में स्कूल चलें हम अभियान के तहत बच्चों को स्कूल लाने का प्रयास किया जाता है पर प्रावि में बिजली नहीं होने और दोपहर में 40 डिसे से भी ज्यादा तापमान होने पर बीमारी का खतरा बढऩे से अभिभावक बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं। इससे स्कूल चले अभियान भी प्रभावित हो जाता है।

नव भारत न्यूज

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