मालवा-निमाड़ की परंपरा स्वस्थ लोकतंत्र की रही है, पर हाल ही में देवास की घटना ने इस परंपरा की धज्जियां उड़ा दी. राफेल सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर मोदी सरकार पर लगे आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा क्लीन चीट देने वाले फैसले के बाद देश भर में मोदी सरकार पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी सेे माफी मंगवाने के लिए भाजपा द्वारा पूरे देश में एक साथ कांग्रेस कार्यालय का घेराव कर प्रदर्शन करने के निर्णय के तहत शनिवार को देवास में कांग्रेस कार्यालय के बाहर भाजपा कार्यकर्ता पार्टी का झंडा लेकर नारेबाजी के साथ एकत्रित होने जा रहे थे.
इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता भारी संख्या में लाठी, डंडे के साथ एकत्रित हा गए और उनकी भाजपाइयों भिड़ंत हो गई. उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस प्रशासन के सामने लाठी, डंडे से हमलावर हो दौड़ा-दौड़ा कर खदेड़ा. अंचल में ऐसी अराजकता इससे पहले कभी देखने को नहीं मिली. ऐसा लगता है कि कुछ वर्षों से प. बंगाल में पनपी इस तरह की संस्कृति इन्होंने भी अपना ली है. लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए इस तरह का बर्ताव घातक है.
सवालों के घेरे में पुलिस प्रशासन: भाजपाई प्रदर्शन मामले में देवास पुलिस प्रशासन ने धारा 144 को आधार बनाकर भाजपा के दर्जन भर कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर थाना कोतवाली पहुंचा दिया, वहीं देखा जाए तो धारा 144 का पालन कांग्रेसियों ने भी नहीं किया था जो कि अपने हाथ में लाठी, डंडे लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के पीछे लेकर दौड़ रहे थे.
पुलिस प्रशासन का कहना है कि भाजपाइयों ने आंदोलन की अनुमति नहीं ली थी वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कार्यालय के बाहर एकत्रित होने के लिए अनुमति ली थी. अब इस पर पुलिस प्रशासन ही सवालों के घेरे में आ गया है, चाहे कांग्रेसियों को वहां एकत्र होने की अनुमति दी गई हो लेकिन लाठी-डंडों के साथ उनका पहुंचना धारा 144 का उल्लंघन नहीं था? पुलिस ने न तो उनको रोका न हंगामें पर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की.
लैपटॉप की आस में बीत गया आधा सत्र: होनहार विद्यार्थियों के लिए शिवराज सरकार ने छात्र प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की थी. इसके तहत बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अंक लाने पर लैपटॉप या राशि प्रदान की जा रही थी. कांग्रेस ने चुनाव पूर्व अपने वचन पत्र के माध्यम से सरकार बनने पर 75 की बजाए 70 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को भी लेपटॉप प्रदान करने की घोषणा की थी, लेकिन करीब आधा शिक्षण सत्र बीतने के बाद भी आस लगाए बैठे अंचल के सैंकड़ों विद्यार्थियों को प्रोत्साहन राशि नहीं मिली और प्रोत्साहन योजना अधर में लटकी हुई है. इस योजना अतंर्गत लैपटॉप खरीदने के लिए शासन से 25 हजार रुपए की राशि नहीं मिल पा रही है. इसके पीछे जो कारण सामने आ रहा है, उसमें सरकार के पास विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए राशि न होना बताया जा रहा है.