अभिनयन में हुआ नाटक सम्बोधन का प्रदर्शन
भोपाल, जनजातीय संग्रहालय में नवीन रंगप्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला अभिनयन में आज आरती विश्वकर्मा के निर्देशन में नाटक सम्बोधन का मंचन संग्रहालय सभागार में हुआ.
इस नाटक के केंद्र में बीस वर्षीय लडक़ी है, जो अपने पिता को न सिर्फ तलाशती है, बल्कि अपने पिता के मन में झाकना भी चाहती है. वह जानना चाहती है कि ऐसी क्या वजह रही होगी, जिस कारण बीस वर्ष पहले उसके पिता ने उसकी माँ को छोड़ दिया था. अत: पिता से किये सवालों में वह उन जवाबों को पा जाती है, जिसे उसकी माँ जीवन भर सारे सम्बोधनों में तलाशती रही थी.
इस नाटक में कलाकारों ने अपने अभिनय कौशल से बड़ी ही खूबसूरती से बताया की मानवीय रिश्ते सिर्फ सम्बोधन नहीं हैं. नाटक के दौरान मंच पर मात्र दो कलाकर तीन पात्र अभिनीत करते है. समय को परिवर्तित करने के लिए वेशभूषा में छद्म का प्रयोग किया गया है.
इस नाटक में समझने का प्रयास किया गया है कि मानवीय रिश्तों को महज सम्बोधन समझना दुर्भाग्यपूर्ण है. अत: सम्बोधन सिर्फ पुकार नहीं वरन एक हृदय के अंतस से जुडी भावना है.