क्रांति चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश में शपथ लेने के तुरंत बाद ही राज्य के किसानों का दो लाख तक का कर्जा माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर कर, इसे अपना पहला कार्य निरूपित कर, शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने न केवल एमपी अपितु देश में एक बड़ा संदेश दिया है.
जैसा की विदित है , किसानों की कर्ज माफी कांग्रेस का एक बड़ा चुनावी नारा था. कांग्रेस ने इसे अपने वचन पत्र में भी प्राथमिकता में लिया था. और मतदाताओं के कांग्रेस की ओर झुकने का एक बड़ा आधार भी यही था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनावी बेला में सत्ता में आने के 10 दिनों के भीतर किसानों की कर्ज माफी की घोषणा की थी.
चुनाव के दरमियान उन्होंने इसमें एक बिंदु और यह भी जोड़ा था कि यदि कर्जमाफी करने में कांग्रेस का सीएम कोई बहाना बनाता है तो 11वें दिन ही कांग्रेस का नया सीएम कर्जा माफ करेगा. राहुल गांधी की यह शैली बहुत ही लुभावनी रही किसानों और समग्र मध्य प्रदेश के लिए. उनकी यह संवाद अदायगी बता रही थी कि वह अपने वचन और किसानों को किस हद तक की संजीदगी और गंभीरता से ले रहे हैं.
कमलनाथ ने शपथ लेते ही पहली फाइल किसानों की कर्ज माफी की देखी और उस पर तुरंत हस्ताक्षर किये. विधायक दल का नेता चुनने के बाद ही उन्होंने प्रमुख सचिव , किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग , डॉ राजेश राजौरा को यह हिदायत दे दी थी कि वे किसानों की कर्जा माफी पर प्रेजेंटेशन दें और फाइल तैयार करें.
यहां कमलनाथ ने मध्य प्रदेश और किसानों को यह संदेश दिया कि वह अपने वचनों और किसानों के प्रति अति गंभीर हैं और वे उनके लिए सबसे प्राथमिकता में है. ना केवल एमपी अपितु पूरे देश में कमलनाथ ने बतौर नवनियुक्त मुख्यमंत्री एक बड़ा संदेश दिया है. कर्ज माफी को लेकर भाजपा की ओर से प्रदेश के किसान दो बार वादाखिलाफी झेल चुके हैं. इसलिए कांग्रेस का यह कदम और ज्यादा प्रभावशाली भूमिका में रहेगा.
केवल मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे देश में किसानों का दर्द एक बड़ा मुद्दा है. 2019 के लोकसभा चुनाव की बेला में कमलनाथ की यह तीव्र गति कांग्रेस को पूरे देश में बड़ा संबल प्रदान करेगी. जैसा कि विदित है , कर्ज माफी कांग्रेस की विजय का एक बड़ा आधार रहा है.
इसे यूं समझा जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों की सीटों में कांग्रेस 93 और भाजपा 87 तथा शहरी क्षेत्रों की सीटों में भाजपा 22 और कांग्रेस 21 पर अपनी विजय दर्ज करा पाई है. पिछली विधानसभा में 58 सीटों से बढक़र कांग्रेस 114 तक पहुंची है.
जाहिर है , ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत ज्यादा बढ़त – यह संकेत दे रही है कि कर्ज माफी कांग्रेस की ओर झुकाव का बड़ा कारण था. इसलिए प्राथमिकता से इस पर पहले ही साइन कर कमलनाथ ने अपनी राजनीतिक और प्रशासनिक शैली का संदेश भी दे दिया है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भी इसे अच्छा संकेत माना है. राहुल गांधी ने भी तुरंत ट्वीट किया है – पूरा किया कर्ज माफी का वादा. बेरोजगारी और बिजली बिल हाफ अभी बाकी है.
किसानों ने झेली थी वादाखिलाफी
मध्यप्रदेश में दो बार कर्जा माफी को लेकर किसान वादाखिलाफी झेल चुके हैं. 1990 के चुनाव में भाजपा ने घोषणा की थी सुई से लेकर ट्रैक्टर तक का किसानों का कर्जा माफ होगा. तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा के नेतृत्व में बनी सरकार ने किसानों का केवल दस हजार तक का ही कर्जा माफ किया था. इसमें भी सहकारी संस्थाओं में उनकी जमा पूंजी को समायोजित किया था. दूसरी बार 2008 में पचास हजार तक का कर्जा माफ करने की घोषणा भाजपा ने की थी. लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ.
उम्मीद लगाए किसान घोषणा पत्र समिति के संयोजक भंवर सिंह शेखावत के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा था- मैं कहां से करूं, सरकार के पास जाओ ! सरकार की ओर से कहा गया था कि इससे ज्यादा राशि तो हम विभिन्न मदों में सहायता के रूप में आपको दे चुके हैं. इस बार इसलिए कांग्रेस सरकार की ओर से तुरंत ही कर्जा माफी राजनैतिक दृष्टि से भी काफी अहम है.