जांच रिपोर्ट से खुलासा
भोपाल, मध्य प्रदेश का माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई गड़बड़ी जांच रिपोर्ट के बाद एक बार फिर चर्चा में है.विश्वविद्यालय में 2003 से हुई गड़बड़ी को लेकर कई शिकायतें सामने आईं. जांच के लिए बनी कमेटी के पास 181 शिकायतें पहुंचीं थी.
कुछ बेहद गंभीर आरोपों की जांच रिपोर्ट से पता चला है कि भोपाल और नोएडा कैंपस में नियुक्तियों में गड़बडिय़ों के साथ नए परिसर की निर्माण में भी गड़बड़ी मिली है. जांच कमेटी ने शिकायतों की हकीकत जानने के लिए विवि के दस्तावेज खगाले सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट से पता चला हैं कि अधिकारियों की महंगी शराब पीने के शौक का पैसा भी यूनिवर्सिटी चुकाती थी.
पूर्व कुलपति के कार्यकाल में 200 से ज्यादा नियुक्तियों में गड़बड़ी मिली है. इसमें नियमों की अनदेखी की गई. जांच से 2017-18 में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर रहे सांसद राकेश सिन्हा ने एक दिन भी क्लास नहीं लिया.
विवि में संसाधनों की खरीददारी में गड़बड़ी मिली है. वहीं जानकारी के मुताबिक विश्वविद्यालय में कुछ कोर्स बंद करने की सिफारिश भी की गई है. राज्य सरकार ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में 2003 से अब तक हुई नियुक्तियों की जांच आदेश दे दिए थे.
जांच के लिए जनसंपर्क विभाग के एसीएस एम.गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई थी जिसमें मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ विशेष कत्र्तव्यस्थ अधिकारी रहे भूपेन्द्र गुप्ता और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को सदस्य बनाया गया था जो सभी शिकायतों की हकीकत जानने के बाद जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी है।
इन छह बिंदुओं पर हुइ जांच
विश्वविद्यालय में वर्ष 2003 से की गयी नियुक्तियों में भर्ती प्रक्रिया/आरक्षण का पालन करने की जांच एवं अनियमितता पाये जाने पर उत्तरदायित्व निर्धारण, विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम एवं शैक्षणिक प्रणाली/सामग्री में एक विशिष्ट विचारधारा के पक्ष में परिवर्तन करने की जांच, विश्वविद्यालय द्वारा दी जाने वाली अनुसंधान परियोजनाओं में किन्हीं व्यक्ति/समूह को लाभ पहुंचाने के लिए किए गए पक्षपात की जांच, वर्ष 2003 के बाद से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यूजीसी के मापदंडों के उल्लंघन की शिकायतों की जांच, किन्हीं व्यक्तियों/समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए गए, अनुपयोगी व्यय की शिकायतों की जांच की जाएगी. समिति प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर किन्हीं व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए अनावश्यक शिक्षण केंद्रों को खोलने की शिकायतों की जांच की गई.