भोपाल, 11 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणाम के बाद भले ही किसी भी पार्टी की सरकार बने, लेकिन विधानसभा के कई बहुत पुराने सदस्य इस बार सदन में नजर नहीं आएंगे.
इस सूची में पहला नाम मध्यप्रदेश में 10 बार विधायक रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का है. गौर को दो साल पहले गृह मंत्री पद से हटाए जाने के बाद इस बार भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया था. उनके स्थान पर उनकी बहू कृष्णा गौर भोपाल की गोङ्क्षवदपुरा सीट से चुनाव मैदान में उतरीं हैं.
वर्ष 1974 से लगातार विधायक रहे श्री गौर अगस्त 2004 से नवंबर 2005 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं. वर्ष 2013 से वे शिवराज ङ्क्षसह चौहान सरकार में गृह मंत्री थे, लेकिन जून 2016 में उन्हें मंत्री पद से हटा दिया गया था.
भाजपा महासचिव और साल 1990 से मध्यप्रदेश विधानसभा के लगातार सदस्य कैलाश विजयवर्गीय भी इस बार विधानसभा में नहीं दिखाई देंगे. श्री विजयवर्गीय के स्थान पर उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय को पार्टी ने इंदौर-तीन विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया.
वर्ष 2003 से लेकर 2015 तक प्रदेश में कई विभागों के मंत्री पद पर रह चुके श्री विजयवर्गीय छह बार विधायक रह चुके हैं.प्रदेश विधानसभा में अपनी व्यंग्यात्मक शैली के लिए चर्चित सांची से विधायक रहे गौरीशंकर शेजवार की भी इस बार विधानसभा में मौजूदगी नहीं रहेगी. श्री शेजवार के स्थान पर भी उनके बेटे मुदित शेजवार को टिकट दिया गया है. सात बार के विधायक श्री शेजवार को वर्ष 2013 में वन मंत्री बनाया गया था.
अपनी बेबाकी के लिए चर्चित प्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री कुसुम मेहदेले का नाम भी इस सूची में शामिल है. वे 1990, 1998, 2003 में जनप्रतिनिधि निर्वाचित होने के बाद 2013 में एक बार फिर विधायक चुनी गईं थीं. पार्टी ने 2018 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया है.