राजनैतिक दलों ने उनका सामान्य (जनरल) चुनाव प्रचार आगामी लोकसभा के लिये प्रारंभ कर दिया है. उम्मीदवारों के नामों पर विचार प्रारंभ हो गया है. नामों की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की अधिसूचना के बाद ही होगी.
राष्ट्रीय पार्टी के रूप में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी मैदान में है. इन्हीं के नेतृत्व में एन.डी.ए. और यूपीए के नाम से जो सरकारें बनी हैं उनमें स्थाईत्व होता है और पांच साल…. तक चलती है और दूसरा टर्म भी जीतती रही है. इन दोनों को छोडक़र जो भी सरकार बनी- वे पूरे कार्यकाल में टिक नहीं पायी.
इस समय कुछ राज्यों में इन दोनों पार्टियों में सीधी भिड़न्त होगी- गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक, त्रिपुरा राज्यों में जहां क्षेत्रीय पार्टियां सत्ता में हैं- पश्चिम बंगाल में तृणमूल, ओडीसा में बीजू दल, बिहार में जनता दल, सेकूलर साझा सरकार में, तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक, आंध्र में तेलगुदेशम, तेलंगाना में टी.आर.एस. यहां साझा या नियमों……. से चुनाव न हो सके तो त्रिकोणी संघर्ष कांग्रेस-भाजपा व क्षेत्रीय पाट्रियों में होगा.
क्षेत्रीय पार्टियां जानती हैं कि केंद्र में उसी राष्ट्रीय पार्टी से जुडऩा होगा और साझा सरकार में उनकी पार्टी के मंत्री होंगे और उनकी संख्या इस बात पर निर्भर होगी कि लोकसभा में उनके कितने सदस्य हैं.
पिछले लोकसभा चुनावों में भारतीय मतदाता ने यह राजनैतिक सूझबूझ दिखाई कि कांग्रेस के बाद भारतीय जनता पार्टी को भी पूरा बहुमत दिया. इस बार गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और पंजाब में पुन: सत्ता जीतने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद है. भारतीय जनता पार्टी की गुजरात विधानसभा में शक्ति घटी और तीन राज्यों में कांग्रेस के हाथों सत्ता से बाहर हो गयी. इसका उसे अहसास है कि लोग कांग्रेस की तरफ वापस जा रही है.
जम्मू काश्मीर की चुनावी राजनीति की वहां की परिस्थितियों की तरह अस्पष्टï है. उत्तरप्रदेश में देश की सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटें है.इस बार यहां त्रिकोणी संघर्ष की स्थिति बन ही गयी है. वर्तमान में इस राज्य भारतीय जनता पार्टी के 73, समाजवादी पार्टी के 5 और कांग्रेस के दो सदस्य जीते है. यहां मायावती की बहुजन समाज पार्टी शून्य है. लेकिन राज्य में वह प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी बनी हुई है.
चुनाव पूर्व की राजनीति में सबसे पहले समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी ने आपस में चुनाव समझौता कर 78 सीटें आपस में बांट ली और खुद के निर्णय से कांग्रेस की दो जीती हुई सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी. इस समय राज्य सरकार में भी भारतीय जनता पार्टी कायम है.
इस परिस्थिति में कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री अमित शाह ने यह घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी उत्तरप्रदेश की सभी सीटों पर अकेले लड़ेगी. उत्तरप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा के दो उपचुनावों पर ऐसा जबरदस्त झटका खाया है कि वह समझ गई कि उत्तर प्रदेश में उसकी हैसियत जितनी बनी थी उतनी गिर भी गई है.
विधानसभा चुनाव जीतने समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य गोरखपुर व फूलपुर से लोकसभा सदस्य थे. उन्होंने अपनी सीटें खाली की और उपचुनाव में दोनों सीटों से भारतीय जनता पार्टी हार गई.इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य में फिर से प्रमुख पार्टी के रूप में उभरकर आने के लिये पूरे इरादे से मैदान में आ रही है.